रविवार, 21 सितंबर 2008

प्रभा जी का लेखन हमेशा प्रेरणा देता रहेगा


रोज की तरह आज भी अखबार देख रहा था ।

अचानक एक ख़बर पर नज़र गई ।प्रभा खेतान नहीं रहीं ... ये क्या पीली आंधी, छिन्नमस्ता , सिमोन द बोउवा की पुस्तक ‘दि सेकेंड सेक्स’ के अनुवाद ‘स्त्री उपेक्षिता’ की लेखिका प्रभा जी नहीं रहीं ....

मैंने छिन्नमस्ता और ‘स्त्री उपेक्षिता’ दोनों को पढा है । एमए के बाद मैं स्त्री विमर्श विषयक शोध के सिलसिले मेंकुछ ढूँढ रहा था। तब मैंने ये किताबें पढी.

प्रभा जी का लेखन हमेशा प्रेरणा देता रहेगा ।

महान लेखिका प्रभा जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

1 टिप्पणी:

  1. didi key sarey upnays mai padh chuki hu..sabse zakzor denewala upanyas "Chinnamasta" laga. mera rearch unike upnyso par chal raha hai..sachme didi 1 prernastrot ke roop me samne aai hai..nari vadi chintan yewam bhumandalikarn 1 anokha sangam unike liekhan me dekhne ko mila hai. didi ki kami tho hamesha masus hogi..par wah aapne likhn ke jareye sadda hamare satth hongi...didi ko bahvbhine sardhanjale..............seema jadhav

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