गुरुवार, 7 मई 2009

गाजियाबाद की शुभ्रा आईएएस टापर


शुभ्रा आईएएस टापर
सिविल सेवा परीक्षा 2008 में गाजियाबाद की रहने वाली शुभ्रा सक्सेना ने सबको पछाड़ कर शीर्ष स्थान हासिल किया है। आकर्षक वेतन वाली साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ सिविल सेवा चुनने वाली शुभ्रा का इरादा गांवों में रहने वाली जनता के लिए कुछ करने का है। झारखंड के बोकारो में कोयला खदान श्रमिकों में फैली गरीबी को देख कर ही उन्होंने आईएएस बनने का निश्चय किया था।


इस बार सिविल सेवा परीक्षा की सफलता सूची में लड़कियों का बोलबाला रहा। पहले तीन स्थानों पर लड़कियों ने बाजी मारी। दूसरे स्थान पर शरणनदीप कौर बरार और तीसरे स्थान पर किरण कौशल रहीं। चौथे स्थान पर वरिंदर कुमार रहे।

गाजियाबाद में शिप्रा सनसिटी की विंडसर एंड नोवा [फ्लैट-82] निवासी शशांक गुप्ता की पत्नी शुभ्रा सक्सेना मूलरूप से बरेली की रहने वाली हैं। शुभ्रा के पिता अशोक चंद्र सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड [सीसीएल] बोकारो में अधिशासी अभियंता हैं। शुभ्रा ने डीएवी पब्लिक स्कूल ढोरी, बोकारो से दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। केसीएम स्कूल, मुरादाबाद से इंटरमीडिएट करने के बाद आईआईटी रुड़की से बीटेक किया।


दूसरे प्रयास में शुभ्रा ने सिविल सेवा परीक्षा का शिखर छू लिया। शुभ्रा की शादी छह साल पूर्व शिप्रा सनसिटी के विंडसर एंड नोवा में रहने वाले शशांक गुप्ता से हुई, जो वर्तमान में नोएडा स्थित सीएससी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। शुभ्रा अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, पति व दोस्तों को देती हैं, लेकिन इस बीच वह शिक्षक [गाइड] मुकुल पाठक की सराहना करने से भी पीछे नहीं रहतीं।

शुभ्रा की सफलता पर उनके ननिहाल मुरादाबाद में भी खुशी की लहर है। शुभ्रा के नाना आर.एन. वर्मा के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।

इस साल सिविल सेवा परीक्षा में कुल 791 उम्मीदवार सफल हुए। इनमें जनरल के 364, ओबीसी के 236 और एससी वर्ग के 61 छात्र शामिल हैं। टाप 25 में दस लड़कियां हैं। इस बार कुल 3,18,843 उम्मीदवारों ने फार्म भरा जिनमें 1,67,035 प्रारंभिक परीक्षा में बैठे। इनमें 11,849 ने प्रारंभिक परीक्षा पास की और मुख्य परीक्षा में शामिल हुए। आखिर में 2,140 को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।

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