शनिवार, 24 अगस्त 2013

मर्द का दर्द, ढूंढ़ रहा हमदर्द

बचाओ बचाओ
  1. देश में हर नौवें मिनट में एक विवाहित पुरुष आत्महत्या करता है।
  2.  नेशनल क्राइम रिकार्ड 2012 के अनुसार देश में 65311 विवाहित पुरुषों ने किसी न किसी कारण से आत्महत्या की जबकि महिलाओं की संख्या 32 हजार रही।

कानपुर। ‘मर्द को कभी दर्द नहीं होता।’ मर्दानगी की ये शेखी बघारना अब सबके बस की बात नहीं रही। बेचारे मर्द भी शोषित-उत्पीड़ित हैं। कुछ का दर्द सामने आ जाता है और कुछ के किस्से घर की दीवारों के भीतर ही कैद रहते हैं। खैर, महिला उत्पीड़न-महिला हिंसा के हल्ले के बीच अब पुरुषों ने भी अपने दर्द का मरहम मांगा है। महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग बनाने और महिलाओं के प्रति बने कानूनों के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने की मांग तेज हो रही है। गुरुवार को नानाराव पार्क में ‘दामन वेलफेयर सोसाइटी’ की ओर से पुरुषों के हक में आवाज उठाने के लिए दोपहर दो बजे से सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

संस्था के उपाध्यक्ष रोशन जायसवाल ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि सम्मेलन में पुरुषों के हक के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर केरल से कश्मीर तक की यात्रा पर निक ला चार सदस्यीय दल भी शामिल होगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने महिलाओं-बच्चों के कल्याण के लिए आयोग गठित किए हैं।
इनके समर्थन में कई कानून और योजनाएं भी बनी हैं लेकिन पुरुषों के संदर्भ में आजतक कोई आयोग गठित नहीं किया गया है, जबकि देश में पुरुषों पर लगातार अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। जरा-जरा सी बात पर मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है और पुलिस बिना सोचे-समझे उन्हें जेल में ठूंस देती है। समाज का नजरिया भी पुरुषों को ही दोषी ठहराने वाला रहा है। पुरुषों का दर्द कोई नहीं समझता। उन्होंने कहा कि इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है। जल्द ही आंदोलन को विस्तार दिया जाएगा। वार्ता के दौरान मनोज गुप्ता, सुबोध कटियार, डा. इन्दु सुभाष, मनोज कुमार आदि मौजूद रहे।
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मुझे मेरी बीवी से बचाओ
गोविंदनगर में रहने वाले सोनू गुप्ता आजकल परेशान से रहते हैं। घर और दफ्तर में वो अक्सर टेंशन में नजर आते हैं। उनकेदोस्तों ने जब उनसे इसकी वजह पूछी तो पता चला कि वे आजकल अपनी पत्नी से परेशान हैं। वे कहते हैं कि पत्नी उनसे माता-पिता को छोड़कर अकेले में रहने का दबाव बना रही है। जब उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया तो पत्नी और उनके परिजन उन्हें दहेज उत्पीड़न में फंसाने की धमकी दे रहे हैं। वहीं, गुजैनी के राजेश पालीवाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ दहेज उत्पीड़न का फर्जी मामला दर्ज करा दिया है।

पत्नी की क्रूरता पर तलाक
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले में पति को तलाक का हकदार बताते हुए अपने फैसले में कहा है कि पति और पत्नी में किसी का व्यवहार यदि एक-दूसरे के प्रति  इतरा क्रूर हो जाए कि साथ रहना मुश्किल हो तो पति को तलाक का हक है। इस मामले में पीसीएस अधिकारी पति ने पत्नी पर क्रूरतापूर्ण व्यवहार का मुकदमा कराया था। बीते वर्ष दिल्ली में कोर्ट ने एक महिला की झूठी शिकायत पर पति और उनकेपरिवारीजनों को बरी करते हुए तलाक का फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा था कि यहां मामला मानसिक क्रूरता है, इस कारण तलाक का फैसला सुनाया जाता है।
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पुरुषों के हक के लिए नानाराव पार्क में सम्मेलन आज
‘दामन वेलफेयर सोसाइटी’ ने उठाई आवाज
  1. संस्था के शहर में 100 से अधिक सदस्य हैं, इनमें से अधिकांश पर दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा के केस दर्ज
संस्था की मांगें
  1. - देश के 87 फीसदी पुरुष टैक्स देते हैं। इसके बावजूद उनके लिए महिला आयोग, बाल आयोग की तर्ज पर कोई पुरुष आयोग गठित नहीं है।
  2. - विवाहित पुरुष अपनी समस्यायें कहां दर्ज करवाएं। उनके लिए कोई भी कल्याणकारी योजना व कानून नहीं है। जबकि बच्चों, महिलाओं से लेकर पशुओं तक के लिए कल्याणकारी योजनाएं सरकारें चला रही है।
  3. - रिकार्ड के मुताबिक दहेज उत्पीड़न के 70 फीसदी मामले झूठे साबित होते हैं जबकि पत्नी या उसके परिवारीजन सबसे पहले दहेज उत्पीड़न का मामला पति और उसके रिश्तेदार पर दर्ज करवाते हैं। इस कानून में संशोधन करने की आवश्यकता है।
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मेरा दर्द न जाने कोय
दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या के सभी आरोप सही नहीं होते। ये बात अदालतें भी कह चुकी हैं। पुलिस और कानून के जानकार भी मानते हैं। उनका कहना है कि कई मामलों में दहेज उत्पीड़न एक तरह से पति के उत्पीड़न करने का हथियार बन गया है। महिलाओं के लिए विशेषकर बने इस कानून से पति और उसके घर वालों को महीनों और सालों तक जेल की यातना सहनी पड़ती है। पुरुषों के हक में आवाज उठाने वाले संगठन सबसे ज्यादा विरोध इसी कानून का कर रहे हैं।

संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि कई बार घर में पति-पत्नी के बीच होने वाले झगड़े का एक प्रमुख मुद्दा पति के माता-पिता को साथ न रखने का होता है। पति उन्हें साथ रखना चाहता है लेकिन पत्नी इसके लिए तैयार नहीं होती। बात बढ़ती है तो अक्सर ऐसे मामलों में भी दहेज उत्पीड़न का सहारा लिया जाता है।
आप कुछ कहना चाहते हैं डायल करें : +91-9536901343
ई मेल: crimescene 360@knp.amarujala.com
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मर्द इन हेल्पलाइन पर ऑनलाइन अपना दुखड़ा कह सकते हैं
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साभार- अमर उजाला/22 अगस्त, 2013

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