tag:blogger.com,1999:blog-64834489637099315212024-03-13T21:01:57.937-07:00आधा आकाशउनके लिए जगह एक खास... यानी आधा आकाशChhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-86304333480773948242013-08-24T13:14:00.003-07:002013-08-24T13:20:35.821-07:00मर्द का दर्द, ढूंढ़ रहा हमदर्द <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-size: large;">बचाओ बचाओ </span><br />
<ol style="color: red; text-align: left;">
<li><b>देश में हर नौवें मिनट में एक विवाहित पुरुष आत्महत्या करता है। </b></li>
<li><b> नेशनल क्राइम रिकार्ड 2012 के अनुसार देश में 65311 विवाहित पुरुषों ने किसी न किसी कारण से आत्महत्या की जबकि महिलाओं की संख्या 32 हजार रही। </b></li>
</ol>
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<b>कानपुर। </b>‘मर्द को कभी दर्द नहीं होता।’ मर्दानगी की ये शेखी बघारना अब सबके बस की बात नहीं रही। बेचारे मर्द भी शोषित-उत्पीड़ित हैं। कुछ का दर्द सामने आ जाता है और कुछ के किस्से घर की दीवारों के भीतर ही कैद रहते हैं। खैर, महिला उत्पीड़न-महिला हिंसा के हल्ले के बीच अब पुरुषों ने भी अपने दर्द का मरहम मांगा है। महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग बनाने और महिलाओं के प्रति बने कानूनों के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने की मांग तेज हो रही है। गुरुवार को नानाराव पार्क में ‘दामन वेलफेयर सोसाइटी’ की ओर से पुरुषों के हक में आवाज उठाने के लिए दोपहर दो बजे से सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। <br />
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संस्था के उपाध्यक्ष रोशन जायसवाल ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि सम्मेलन में पुरुषों के हक के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर केरल से कश्मीर तक की यात्रा पर निक ला चार सदस्यीय दल भी शामिल होगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने महिलाओं-बच्चों के कल्याण के लिए आयोग गठित किए हैं। <br />
इनके समर्थन में कई कानून और योजनाएं भी बनी हैं लेकिन पुरुषों के संदर्भ में आजतक कोई आयोग गठित नहीं किया गया है, जबकि देश में पुरुषों पर लगातार अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। जरा-जरा सी बात पर मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है और पुलिस बिना सोचे-समझे उन्हें जेल में ठूंस देती है। समाज का नजरिया भी पुरुषों को ही दोषी ठहराने वाला रहा है। पुरुषों का दर्द कोई नहीं समझता। उन्होंने कहा कि इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है। जल्द ही आंदोलन को विस्तार दिया जाएगा। वार्ता के दौरान मनोज गुप्ता, सुबोध कटियार, डा. इन्दु सुभाष, मनोज कुमार आदि मौजूद रहे। <br />
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<b>मुझे मेरी बीवी से बचाओ </b></div>
गोविंदनगर में रहने वाले सोनू गुप्ता आजकल परेशान से रहते हैं। घर और दफ्तर में वो अक्सर टेंशन में नजर आते हैं। उनकेदोस्तों ने जब उनसे इसकी वजह पूछी तो पता चला कि वे आजकल अपनी पत्नी से परेशान हैं। वे कहते हैं कि पत्नी उनसे माता-पिता को छोड़कर अकेले में रहने का दबाव बना रही है। जब उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया तो पत्नी और उनके परिजन उन्हें दहेज उत्पीड़न में फंसाने की धमकी दे रहे हैं। वहीं, गुजैनी के राजेश पालीवाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ दहेज उत्पीड़न का फर्जी मामला दर्ज करा दिया है।<br />
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<div style="color: red;">
<b>पत्नी की क्रूरता पर तलाक </b></div>
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले में पति को तलाक का हकदार बताते हुए अपने फैसले में कहा है कि पति और पत्नी में किसी का व्यवहार यदि एक-दूसरे के प्रति इतरा क्रूर हो जाए कि साथ रहना मुश्किल हो तो पति को तलाक का हक है। इस मामले में पीसीएस अधिकारी पति ने पत्नी पर क्रूरतापूर्ण व्यवहार का मुकदमा कराया था। बीते वर्ष दिल्ली में कोर्ट ने एक महिला की झूठी शिकायत पर पति और उनकेपरिवारीजनों को बरी करते हुए तलाक का फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा था कि यहां मामला मानसिक क्रूरता है, इस कारण तलाक का फैसला सुनाया जाता है। <br />
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<div style="color: red;">
<b>पुरुषों के हक के लिए नानाराव पार्क में सम्मेलन आज </b></div>
<div style="color: red;">
<b>‘दामन वेलफेयर सोसाइटी’ ने उठाई आवाज </b></div>
<ol style="text-align: left;">
<li>संस्था के शहर में 100 से अधिक सदस्य हैं, इनमें से अधिकांश पर दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा के केस दर्ज </li>
</ol>
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<b>संस्था की मांगें </b></div>
<ol style="text-align: left;">
<li>- देश के 87 फीसदी पुरुष टैक्स देते हैं। इसके बावजूद उनके लिए महिला आयोग, बाल आयोग की तर्ज पर कोई पुरुष आयोग गठित नहीं है। </li>
<li>- विवाहित पुरुष अपनी समस्यायें कहां दर्ज करवाएं। उनके लिए कोई भी कल्याणकारी योजना व कानून नहीं है। जबकि बच्चों, महिलाओं से लेकर पशुओं तक के लिए कल्याणकारी योजनाएं सरकारें चला रही है। </li>
<li>- रिकार्ड के मुताबिक दहेज उत्पीड़न के 70 फीसदी मामले झूठे साबित होते हैं जबकि पत्नी या उसके परिवारीजन सबसे पहले दहेज उत्पीड़न का मामला पति और उसके रिश्तेदार पर दर्ज करवाते हैं। इस कानून में संशोधन करने की आवश्यकता है। </li>
</ol>
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<div style="color: red;">
<b>मेरा दर्द न जाने कोय </b></div>
दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या के सभी आरोप सही नहीं होते। ये बात अदालतें भी कह चुकी हैं। पुलिस और कानून के जानकार भी मानते हैं। उनका कहना है कि कई मामलों में दहेज उत्पीड़न एक तरह से पति के उत्पीड़न करने का हथियार बन गया है। महिलाओं के लिए विशेषकर बने इस कानून से पति और उसके घर वालों को महीनों और सालों तक जेल की यातना सहनी पड़ती है। पुरुषों के हक में आवाज उठाने वाले संगठन सबसे ज्यादा विरोध इसी कानून का कर रहे हैं।<br />
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संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि कई बार घर में पति-पत्नी के बीच होने वाले झगड़े का एक प्रमुख मुद्दा पति के माता-पिता को साथ न रखने का होता है। पति उन्हें साथ रखना चाहता है लेकिन पत्नी इसके लिए तैयार नहीं होती। बात बढ़ती है तो अक्सर ऐसे मामलों में भी दहेज उत्पीड़न का सहारा लिया जाता है। <br />
आप कुछ कहना चाहते हैं डायल करें : +91-9536901343 <br />
ई मेल: crimescene 360@knp.amarujala.com <br />
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मर्द इन हेल्पलाइन पर ऑनलाइन अपना दुखड़ा कह सकते हैं <br />
• http://ghaziabad.olx.in/498a-406-domestic-violence-act-divorce-helpline-men-cell-iid-147467481 <br />
• http://All india/Bangalore <br />
HelpLine 09880141531 – 09731569970 For Local ... <br />
• http://498amisuse.wordpress.com/all-indiabangalore-<br />
helpline- 09880141531- 09731569970-for-local-helpline <br />
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<b>साभार- अमर उजाला/22 अगस्त, 2013</b></div>
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Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-8354748755658636392013-03-07T12:20:00.000-08:002013-03-08T00:36:57.618-08:00एक लड़की को चाहिए "सुशील पत्नी" <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<blockquote class="tr_bq">
<span style="color: magenta;"><span style="font-size: large;"> <b>सदियों से एक महिला को किसी की बेटी, बहन या बीवी के रूप में ही पहचाना जाता रहा है। क्या इस इतिहास को बदला नहीं जा सकता। क्या त्याग और बलिदान की भावना अब पुरुषों को भी अपने अंदर पैदा नहीं करनी चाहिए। </b></span></span></blockquote>
<span style="color: lime;"><span style="font-size: large;">अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष पेशकश - </span></span><br />
एक लड़की अगर अपने लिए एक "सुशील पत्नी" यानी पत्नी के गुणों वाले पति की चाहत करती है, तो इसमें गलत क्या है। जमाना बदल गया है। जमाना बदल रहा है। अब इतना मुश्किल भी नहीं रहा लड़कियों के लिए "सुशील पत्नी" का मिलना। वह भी ऐसे समय में जबकि आज ढेरों लड़के अपने लिए "सुशील पति" यानी पति के गुणों वाली पत्नी ढूंढ रहे हैं। "सुशील पति" यानी वह लड़की या महिला, जिसमें पति वाले सारे गुण हो, जो नौकरी भी कर सके, बाहर के सारे काम भी देख सके। साथ ही किसी काम के लिए पति या अन्य पुरुष मित्र, रिश्तेदार पर निर्भर न हो। <br />
<br />
<a href="http://1.bp.blogspot.com/--yC0MTF0hRs/UTj4U13Rt6I/AAAAAAAABxI/6Q9ld73Qewg/s1600/images.jpeg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="200" src="http://1.bp.blogspot.com/--yC0MTF0hRs/UTj4U13Rt6I/AAAAAAAABxI/6Q9ld73Qewg/s200/images.jpeg" width="200" /></a>वहीं, "सुशील पत्नी" यानी वह लड़का या पुरुष, जिसमें पत्नी वाले सारे कई गुण हो। जो खाना बना सके, बच्चों की देख-भाल कर सके, घर की सारी जिम्मेदारी संभाल सके। ताकि अपनी नौकरीपेशा, व्यवसायी या रचनात्मक कार्यों से जुड़ी अपनी पत्नी को अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने में पूरा सहयोग मिल सके। कुछ गलत है ऐसा सोचना। हमारी स्त्री शक्ति ने, महिलाओं ने यही तो किया है सदियों से। अपने पतियों (तथाकथित पति परमेश्वर) को महान बनाने के लिए अपने सर्वस्व का बलिदान किया है। करती जा रही है। पति को घर-गृहस्थी की झंझट से दूर रखकर, बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी से बचाकर, हर काम महिला ने अपने कांधे पर डाल रखा है ताकि उसका पति अपनी नौकरी, व्यवसाय पर पूरा ध्यान दें। अपने क्षेत्र लेखन, चित्रकारी, समाज सेवा, फिल्म जगत में आगे बढ़ें, नाम कमाए और महान बनें। <br />
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क्या किसी महापुरुष के साथ उसकी पत्नी का नाम कभी गर्व से लिया जाता है। याद रखा जाता है। कारण, उस महिला ने अपने पति के लिए अपनी पहचान खो दी। वर्ना जमाना उसे भी याद करता। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, महान वैज्ञानिक आइंस्टीन, देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, उपन्यासकार प्रेमचंद जैसे कई उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है।<br />
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मशहूर उपन्यास "वॉर एंड पीस" के महान लेखक टालस्टाय को कौन नहीं जानता। लेकिन क्या उनकी पत्नी सोफिया को दुनिया जानती हैं, जिन्होंने इस उपन्यास को 17 बार अपने हाथों से कागज पर लिखा था। लंदन ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले भारतीय पहलवान सुशील कुमार को आज हरेक भारतीय जानता है। लेकिन इनकी कामयाबी के पीछे भी एक महिला का त्याग और बलिदान छुपा है। ये महिला हैं सुशील कुमार की पत्नी सावी सोलंकी। बताया जाता है कि इनकी शादी को करीब एक साल हुआ था लेकिन इन्होंने सिर्फ दो महीने ही साथ गुजारे थे। सुशील कुश्ती की प्रैक्टिस में काफी व्यस्त रहते थे और घर-परिवार की सारी जिम्मेदारी उनकी पत्नी सावी ने उठा रखी थी। साफ है कि लगातार दो ओलंपिक में व्यक्तिगत तौर पर मेडल जीतने का कीर्तिमान स्थापित करने वाले सुशील कुमार की इस उपलब्धि के पीछे उनकी पत्नी का भी हाथ रहा है।<br />
<br />
एक लड़की अगर अपने लिए "सुशील पत्नी" की चाहत दिखाती है। तो आप उसे ज्ञान देना शुरू कर देते हैं। आपको "सुशील पत्नी" यानी पत्नी के गुणों वाला पति नहीं मिल सकता। या "सुशील पत्नी" की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। तुम खुद सुशील पत्नी बनो। तुम्हारा तो धर्म है, नारी धर्म (पुरुषों का बनाया हुआ, वैसे भी हर धर्मग्रंथ पुरुषों ने ही रचे है।) पुरुषों को कामयाब बनाने के लिए अपना बलिदान करना। ताभि तो इस पंक्ति को चरितार्थ करोगी- हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है। ऐसे पुरुषों को अपना ज्ञान अपने पास ही रखना चाहिए।<br />
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अब ये किसी से छिपा नहीं है कि स्त्री या पुरुष भगवान, ईश्वर ने नहीं बनाए है। या कम से कम स्त्री तो नहीं ही। भगवान ने तो केवल स्त्री-पुरुष के बीच लिंग का भेद बनाया था। दोनों को वहीं दिमाग और हिम्मत दी थी। लेकिन हमारे समाज ने (पुरुष सत्ता ने)....। पुरुषों को महान बनाने के लिए महिला को लाचार स्त्री और गुलाम बना दिया। न तो घर से बाहर निकलने दिया, न ही बाहर के काम करने दिए। ताकि वह अपने आप को लाचार ही समझती रही। हमेशा दूसरों (पुरुषों) पर निर्भर रहे। आज भी जिन लड़कियों को घर तक सीमित रखा जाता है। उनको अकेले घर से बाहर निकलने, दूसरे शहर जाने में या बाहर के काम करने में परेशानी होती है।<br />
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क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जिन लड़कियों, महिलाओं में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो, जज्बा हो, उन्हें अपने पतियों से भरपूर सहयोग मिले। सदियों से एक महिला को किसी की बेटी, बहन या बीवी के रूप में ही पहचाना जाता रहा है। क्या इस इतिहास को बदला नहीं जा सकता। क्या त्याग और बलिदान की भावना अब पुरुषों को भी अपने अंदर पैदा नहीं करनी चाहिए। अगर हम पुरुषों की पहचान किसी महिला के पिता, भाई या पति के रूप में होने लगी तो क्या यह हमारे लिए गर्व की बात नहीं होगी। <br />
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<span style="font-size: large;"><b> - रामकृष्ण डोंगरे तृष्णा</b></span></div>
Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-5666633504261771092009-12-08T11:26:00.000-08:002009-12-08T11:27:53.301-08:00एक बेटे के लिए उन्नीस बेटियांएक बेटे के लिए उन्नीस बेटियां<br /><br />- जिला महोबा, विकासखंड पनवाड़ी, ग्राम स्योड़ी <br />- पिता चतुर्भुज अहिरवार (उम्र 45), <br />- वर्ष 1985 में लाड़कुंवर के साथ हुआ विवाह <br />- शादी के दो साल बाद पहली बच्ची प्रभा का जन्म <br />- इसके बाद सोनिया, रेखा, अनुसुइया, बबली, अर्चना, मन्नू सहित 19 बेटियों को जन्म दिया।<br />- आठ बेटियों को हो चुकी है मौत <br />- बेहद गरीब परिवार में जन्में चतुर्भुज ने बच्चियों के भरण- पोषण के लिए गांव छोड़ दिल्ली में डाला डेरा <br />- रविवार को बेटा पाकर दंपति अपने सारे गम भूल गया! <br />- बीसवें बच्चे की खबर मिलते ही गांव में बांटी गई मिठाइयां <br /><br />एक तरफ जहां हम आप बेटे-बेटियों में कोई फर्क नहीं मानते। वहीं यूपी के एक गांव में माता-पिता ने वंश चलाने के नाम पर एक बेटे के लिए उन्नीस बेटियों को जन्म दे दिया। क्या कहेंगे आप इसे। मेरे आसपास ही बहस झड़ने पर कोई कहता है कि अच्छा तो है, बेटियां पैदा की। क्या आपको बेटी से प्यार नहीं। है क्यों नहीं। खूब प्यार है मुझे। मगर क्या उस पिता ने बेटी पसंद होने के चलते एक के बाद एक बेटियों को पैदा किया। क्या सोचते हैं आप। यहीं ना कि बेटे के लिए मजबूरी में बेटियों को संसार में लाए। <br /><br />.... कोई कहता है कि पॉजिटिव सेंस में देखिए ... बेटे के लिए कितना धीरज रखा, एक-दो, तीन-चार नहीं उन्नीस बेटियों तक इंतजार किया। ऐसा धीरज किस काम का। घर में खाने को दाना नहीं। बच्चों की परवरिश के लिए पिता घर छोड़ परदेस में आए। उसपर भी क्या सभी बेटियों को अच्छा जीवन दे पाएगा यह पिता!!!<br />अब आप ही सोचिए ... कहां जा रहा है हमारा समाज। <br />--------------<br />उन्नीस बेटियों को जन्म देने के बाद लाड़कुंवर की बेटे की चाहत पूरी हो गई। रविवार को उसने पनवाड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चे को जन्म दिया तो पूरा गांव खुशी से झूम उठा। परिवार के लोगों ने बच्चे का नाम कृष्ण कुमार रखा है। इस मौके पर महिला ने जननी सुरक्षा योजना के तहत 1400 रुपए की चेक भी प्राप्त की। लाड़कुंवर की उम्र इस समय 45 साल है।<br />उत्तर प्रदेश के महोबा के विकासखंड पनवाड़ी के ग्राम स्योड़ी निवासी चतुर्भुज अहिरवार का विवाह वर्ष 1985 में लाड़कुंवर के साथ हुआ था। शादी के दो साल बाद लाड़कुंवर ने प्रभा के रूप में पहली बच्ची को जन्म दिया। इसके बाद सोनिया, रेखा, अनुसुइया, बबली, अर्चना, मन्नू सहित 19 बेटियों को जन्म दिया। आठ बेटियां भगवान को प्यारी हो चुकी थीं। बेहद गरीब परिवार में जन्में चतुर्भुज को अपनी बाकी बच्चियों के भरण- पोषण के लिए गांव छोड़कर दिल्ली में डेरा डालना पड़ा। वह दिल्ली में मजदूरी करके हर माह बच्चियों की परवरिश के लिए पैसा भेजता रहा है। इस बीच इन लोगों ने किसी तरह बड़ी बेटी के हाथ भी पीले कर दिए, पर लाड़कुंवर की बेटे की चाहत कम नहीं हुई। रविवार को बेटा पाकर यह दंपति अपने सारे गम भूल गया। उनका कहना है कि अब यह बच्चा वंश को आगे बढ़ाएगा। बीसवें बच्चे की खबर मिलते ही स्योड़ी गांव में मिठाइयां बंटने लगीं।Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-31880613224860547382009-06-26T12:55:00.000-07:002011-03-22T12:50:08.121-07:00मुसलिम लड़कियों के सामने शादी की समस्या<strong>नहीं मिल रहे काबिल दूल्हे</strong><br /><ul><li>मूवमेंट फॉर मुसलिम इंपावरमेंट के सर्वे से खुलासा<a href="http://4.bp.blogspot.com/_X6f6EYtnrAw/SkUrL_sR8FI/AAAAAAAAAu0/bDVUSOYHxec/s1600-h/muslim_girl_plain_by_azahra.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5351731217275416658" style="float: right; margin: 0px 0px 10px 10px; width: 243px; height: 320px;" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_X6f6EYtnrAw/SkUrL_sR8FI/AAAAAAAAAu0/bDVUSOYHxec/s320/muslim_girl_plain_by_azahra.jpg" border="0" /></a><br /></li></ul><br /><blockquote>- अभिभावकों की तरफ से यह जायज समस्या अब सामने आ रही है, उनकी पढ़ी लिखी और काबिल बेटियों के हिसाब से रिश्ते नहीं मिल रहे हैं। - काजी, शरई अदालत दारुल कजा </blockquote><br /><br /><blockquote>- मुसलिम समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है। प्रोफेशनल पढ़ाई कर चुकी काबिल लड़कियों के रिश्ते के लिए समाजसेवी संगठनों को आगे आना चाहिए। - मुसलिम लड़की,<br /></blockquote><br /><ul><li><strong><span>शरई</span> <span>अदालत</span> <span>दारुल</span> <span>कजा</span> <span>के</span> <span>सामने</span> <span>आ</span> <span>रहे</span> <span>दूल्हों</span> <span>की</span> <span>कमी</span> <span>के</span> <span>मामले</span> </strong></li><br /><li><strong>प्रोफेशनल कोर्स करने में लड़कियां आगे, लड़के फिसड्डी </strong></li><br /><li><span class=""></span><strong>पढ़ाई में मुसलिम लड़कों और लड़कियों में अनुपातिक अंतर </strong></li></ul>--------------<br /><br />प्रोफेशनल पढ़ाई में मुसलिम लड़कियों के बढ़ते कदम ने उनके अभिभावकों के सामने एक नई समस्या खड़ी कर दी है। ज्यादा पढ़ जाने से समाज में उनके लायक लड़कों की कमी हो गई है। व्यवसायिक शिक्षा में लड़कियों के लड़कों से आगे होने का खुलासा मूवमेंट फॉर मुसलिम इंपावरमेंट के सर्वे से हो चुका है। अब ऐसी लड़कियों के लिए लायक दूल्हों की कमी के मामले गाहे-बगाहे मुसलिम बुद्धिजीवियों और शरई अदालत दारुल कजा के सामने आ रहे हैं।<br /><br />सर्वे के मुताबिक 60 फीसदी लड़कियां और 40 फीसदी लड़के व्यवसायिक शिक्षा ले रहे हैं। लेकिन मुसलिम समाज में प्रोफेशनल और नौकरीपेशा लड़कों की कमी से उनके सामने बेटियों की शादियों का संकट खड़ा हो गया है। सर्वे 600 प्रोफेशनल छात्र-छात्राओं पर कराया गया था। इसमें से करीब 370 लड़कियां और 230 लड़के विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसायिक शिक्षा ले रहे हैं।<br /><br />मूवमेंट फॉर मुसलिम इंपावरमेंट के महासचिव डा। इशरत सिद्दीकी ने बताया कि अभिभावक अपनी बेटियों के लिए प्रोफेशनल और नौकरीपेशा लड़कों की तलाश कर रहे हैं, जिनमें अनुपातिक अंतर है। इनमें ज्यादातर लड़कियां मध्यम वर्गीय परिवार की हैं। जिनके अभिभावक तृतीय श्रेणी सरकारी कर्मचारी या बिजनेस से जुड़े हैं। मुसलिम लड़कियों ने एमबीबीएस, बीटेक, बीफार्मा, फिजियोथिरेपी, फैशन डिजाइनिंग, बीएड, एमबीए और एमसीए, एलएलबी को कैरियर के रूप में चुना है।<br /><br />शरई अदालत दारुल कजा के काजी मौलाना इनाम उल्ला ने बताया कि अभिभावकों की तरफ से यह जायज समस्या अब सामने आ रही है, उनकी पढ़ी लिखी और काबिल बेटियों के हिसाब से रिश्ते नहीं मिल रहे हैं। लड़के रोजगार से जुड़े हैं, लेकिन किसी का गैरेज है तो किसी की आटोमोबाइल की दुकान। अकसर मां-बाप सलाह मशविरा के लिए दारुल कजा आते हैं।<br /><br />महंगी प्रोफेशनल पढ़ाई में अभिभावकों को काफी दिक्कतें आईं। इनमें से कुछ को निगेटिव एरिया के तौर पर चिन्ही़त होने पर लोन नहीं मिला। महंगी कोचिंग होने के कारण घरों में लड़कियों ने प्रवेश परीक्षा की तैयारी की।<br /><ul><li>नौबस्ता की शीरी बीटेक, फराह खानम बीटेक, नवाबगंज की बेनिस फैजाबाद से बीटेक कर रही हैं। कुछ लोगों को मेरिट कम मींस वजीफा योजना के तहत फायदा हुआ।<br />- बेकनगंज की मदनी बहनों ने भी चुनौतियों का सामना कर वकालत में अपनी जड़ें जमाई हैं। नाज मदनी, मुमताज अनवरी और फिरोज अनवरी वकालत कर रही हैं। नाज मदनी ने बताया कि मुसलिम समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है। प्रोफेशनल पढ़ाई कर चुकी काबिल लड़कियों के रिश्ते के लिए समाजसेवी संगठनों को आगे आना चाहिए।<br />------------------<br /></li></ul><strong>मुस्लिम लड़कियों में साक्षरता दर बढ़ी</strong><br /><p>अलीगढ़ में मुसलिम लड़कियों की शिक्षा का प्रतिशत दस साल में तेजी से बढ़ा है। अगले छह साल यानी 2015 और उसके बाद मुसलिम लड़कियों का प्रतिशत लड़कों से अधिक हो जाने की संभावना है।<br />अमुवि में वर्ष 1999 में मुसलिम लड़कियों का प्रतिशत विभिन्न संकायों में 18 से 22 था, जो कि 2009 में बढ़कर 37 से 40 फीसदी तक पहुंच गया है। जिले में मुसलिम लड़कियों के लिए शिक्षा की बुनियाद अमुवि के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने रखी थी। जिसे शेख अब्दुल्ला ने लड़कियों के लिए अब्दुल्ला कालेज की स्थापना कराकर आगे बढ़ाया।<br /></p><span>मुसलिम</span> <span>लड़कियों</span> <span>में</span> <span>शिक्षा</span> <span>के</span> <span>लिए</span> <span>संघर्ष</span> <span>अमुवि</span> <span>के</span> <span>रजिस्ट्रार</span> <span>रहे</span> <span>सज्जाद</span> <span>हैदर</span> <span>की</span> <span>पत्नी</span> <span>नाजरे</span> <span>हैदर</span> <span>ने</span> <span>किया।</span> <span>वह</span> <span>खुद</span> <span>पढ़ीं</span> <span>और</span> <span>आसपास</span> <span>की</span> <span>लड़कियों</span> <span>को</span> <span>पढ़ाने</span> <span>के</span> <span>लिए</span> <span>समाज</span> <span>की</span> <span>चुनौतियों</span> <span>को</span> <span>स्वीकार</span> <span>कर</span> <span>संघर्ष</span> <span>करती</span> <span>रहीं।</span> <span>यहां</span> <span>तक</span> <span>कि</span> <span>उन्होंने</span> <span>अपनी</span> <span>बेटी</span> <span>कुर्तल</span> <span>एन</span> <span>हैदर</span> <span>को</span> <span>बढ़ाया</span> <span>नहीं</span> <span>बल्कि</span> <span>प्र</span> <span>यात</span> <span>उर्दू</span> <span>की</span> <span>लेखक</span> <span>बनाया।</span><br /><p>हालांकि अमुवि के पीआरओ राहत अबरार ने बताया कि उनके मित्र चर्चा करते हैं कि लड़कियां पढ़ी लिखी होने पर उनकी शादी के लिए लड़के देखने में चुनौती का सामना करना पड़ता है। </p>धर्मशास्त्र विभाग के शिक्षक डा. मु ती जाहिद ए खान ने बताया कि समाज में पढ़ी-लिखी लड़कियों के लिए लड़के देखने में परेशानी सामने आ रही है।Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-25737339760857191652009-05-07T02:54:00.000-07:002011-03-22T12:48:11.472-07:00गाजियाबाद की शुभ्रा आईएएस टापर<a href="http://3.bp.blogspot.com/_X6f6EYtnrAw/SgKywuDErFI/AAAAAAAAAus/fdRS36OVr-Y/s1600-h/shubhrasax-1_1241459715_m.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5333021458824473682" style="float: right; margin: 0px 0px 10px 10px; width: 124px; height: 175px;" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_X6f6EYtnrAw/SgKywuDErFI/AAAAAAAAAus/fdRS36OVr-Y/s200/shubhrasax-1_1241459715_m.jpg" border="0" /></a><br /><div><span style="color: rgb(255, 0, 0);">शुभ्रा आईएएस टापर</span><br /><div><span>सिविल</span> <span>सेवा</span> <span>परीक्षा</span> 2008 <span>में</span> <span>गाजियाबाद</span> <span>की</span> <span>रहने</span> <span>वाली</span> <span>शुभ्रा</span> <span>सक्सेना</span> <span>ने</span> <span>सबको</span> <span>पछाड़</span> <span>कर</span> <span>शीर्ष</span> <span>स्थान</span> <span>हासिल</span> <span>किया</span> <span>है।</span> <span>आकर्षक</span> <span>वेतन</span> <span>वाली</span> <span>साफ्टवेयर</span> <span>इंजीनियर</span> <span>की</span> <span>नौकरी</span> <span>छोड़</span> <span>सिविल</span> <span>सेवा</span> <span>चुनने</span> <span>वाली</span> <span>शुभ्रा</span> <span>का</span> <span>इरादा</span> <span>गांवों</span> <span>में</span> <span>रहने</span> <span>वाली</span> <span>जनता</span> <span>के</span> <span>लिए</span> <span>कुछ</span> <span>करने</span> <span>का</span> <span>है।</span> <span>झारखंड</span> <span>के</span> <span>बोकारो</span> <span>में</span> <span>कोयला</span> <span>खदान</span> <span>श्रमिकों</span> <span>में</span> <span>फैली</span> <span>गरीबी</span> <span>को</span> <span>देख</span> <span>कर</span> <span>ही</span> <span>उन्होंने</span> <span>आईएएस</span> <span>बनने</span> <span>का</span> <span>निश्चय</span> <span>किया</span> <span>था।</span><br /><p><br />इस बार सिविल सेवा परीक्षा की सफलता सूची में लड़कियों का बोलबाला रहा। पहले तीन स्थानों पर लड़कियों ने बाजी मारी। दूसरे स्थान पर शरणनदीप कौर बरार और तीसरे स्थान पर किरण कौशल रहीं। चौथे स्थान पर वरिंदर कुमार रहे।<br /></p><span>गाजियाबाद</span> <span>में</span> <span>शिप्रा</span> <span>सनसिटी</span> <span>की</span> <span>विंडसर</span> <span>एंड</span> <span>नोवा</span> [<span>फ्लैट</span>-82] <span>निवासी</span> <span>शशांक</span> <span>गुप्ता</span> <span>की</span> <span>पत्नी</span> <span>शुभ्रा</span> <span>सक्सेना</span> <span>मूलरूप</span> <span>से</span> <span>बरेली</span> <span>की</span> <span>रहने</span> <span>वाली</span> <span>हैं।</span> <span>शुभ्रा</span> <span>के</span> <span>पिता</span> <span>अशोक</span> <span>चंद्र</span> <span>सेंट्रल</span> <span>कोलफील्ड</span> <span>लिमिटेड</span> [<span>सीसीएल</span>] <span>बोकारो</span> <span>में</span> <span>अधिशासी</span> <span>अभियंता</span> <span>हैं।</span> <span>शुभ्रा</span> <span>ने</span> <span>डीएवी</span> <span>पब्लिक</span> <span>स्कूल</span> <span>ढोरी</span>, <span>बोकारो</span> <span>से</span> <span>दसवीं</span> <span>की</span> <span>परीक्षा</span> <span>प्रथम</span> <span>श्रेणी</span> <span>में</span> <span>उत्तीर्ण</span> <span>की।</span> <span>केसीएम</span> <span>स्कूल</span>, <span>मुरादाबाद</span> <span>से</span> <span>इंटरमीडिएट</span> <span>करने</span> <span>के</span> <span>बाद</span> <span>आईआईटी</span> <span>रुड़की</span> <span>से</span> <span>बीटेक</span> <span>किया।</span><br /><p><br />दूसरे प्रयास में शुभ्रा ने सिविल सेवा परीक्षा का शिखर छू लिया। शुभ्रा की शादी छह साल पूर्व शिप्रा सनसिटी के विंडसर एंड नोवा में रहने वाले शशांक गुप्ता से हुई, जो वर्तमान में नोएडा स्थित सीएससी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। शुभ्रा अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, पति व दोस्तों को देती हैं, लेकिन इस बीच वह शिक्षक [गाइड] मुकुल पाठक की सराहना करने से भी पीछे नहीं रहतीं।<br /></p><span>शुभ्रा</span> <span>की</span> <span>सफलता</span> <span>पर</span> <span>उनके</span> <span>ननिहाल</span> <span>मुरादाबाद</span> <span>में</span> <span>भी</span> <span>खुशी</span> <span>की</span> <span>लहर</span> <span>है।</span> <span>शुभ्रा</span> <span>के</span> <span>नाना</span> <span>आर</span>.<span>एन</span>. <span>वर्मा</span> <span>के</span> <span>घर</span> <span>पर</span> <span>बधाई</span> <span>देने</span> <span>वालों</span> <span>का</span> <span>तांता</span> <span>लगा</span> <span>रहा।</span><br /><p>इस साल सिविल सेवा परीक्षा में कुल 791 उम्मीदवार सफल हुए। इनमें जनरल के 364, ओबीसी के 236 और एससी वर्ग के 61 छात्र शामिल हैं। टाप 25 में दस लड़कियां हैं। इस बार कुल 3,18,843 उम्मीदवारों ने फार्म भरा जिनमें 1,67,035 प्रारंभिक परीक्षा में बैठे। इनमें 11,849 ने प्रारंभिक परीक्षा पास की और मुख्य परीक्षा में शामिल हुए। आखिर में 2,140 को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।</p></div></div>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-2250822656401328562009-03-06T12:15:00.000-08:002013-03-07T12:12:51.562-08:00महिला दिवस पर स्पेशल स्टोरी : दिलेर दूल्हन मंजू<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-size: 130%;">- और अब मंजू</span><br />
<span style="font-size: 130%;">- दिलेर दूल्हन मंजू को सलाम </span><br />
<span style="font-size: 130%;">- मंजू का मंजूर नहीं लालची दूल्हा</span><br />
<br />
<span style="color: red;">महिला दिवस पर स्पेशल स्टोरी-------------------</span><br />
<br />
<b><span style="color: #3333ff;">उसे मंजूर नहीं लालची दूल्हा... उसने लौटा दी दूल्हे की बारात... फिर भी मुश्किल में हैं वो। जी हां एक और दिलेर दूल्हन इन दिनों चर्चा में है। उसका नाम है मंजू। लखनऊ की मंजू।</span></b><br />
<blockquote>
यदि दहेज लोभी से शादी कराई तो जान दे दूंगी- <b>दिलेर दूल्हन मंजू</b> </blockquote>
<blockquote>
<blockquote class="tr_bq">
मैं पहले अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं, इसके लिए आगे पढ़ाई करूंगी या मुझे अभी कोई अच्छी नौकरी मिली तो वो करूंगी। मैं कहीं अच्छी सी नौकरी करना चाहती हूं यदि कोई मेरी मदद करना चाहता है तो मेरी नौकरी लगवा दे। मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती हूं। - <b>मंजू</b></blockquote>
<br />
--------------------------------------<br />
न्यूज पेपर में खबर छपने के बाद दूल्हे और उसके परिजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई। मंजू सब कुछ भूलकर आगे की पढ़ाई का मन बना रही थी कि अचानक उसके सामने नई मुसीबत पैदा हो गयी। अब दूल्हे के परिजन के साथ उसके मां-बाप भी उसी लड़के से शादी के लिए दबाव डाल रहे हैं। 4 मार्च को राज्य महिला आयोग पहुँची मंजू का कहना है यदि दहेज लोभी से शादी कराई तो जान दे दूंगी।<br />
------------------------------------------</blockquote>
<ul>
<li>लालची दूल्हे की बारात को बैरंग लौटने वाली ग्रेजुएट मंजू की दिलेरी को सबने सलाम किया </li>
<li>मंजू के दर पर नेपालगंज के डाक्टर से लेकर ओमान के इंजीनियर तक के रिश्ते आने लगे</li>
<li>मंजू पहले अपने पैरों पर खड़ी होगी फिर बसाएगी अपना घर</li>
<li>एसएमएस व ई-मेल से आए रिश्तों के पैगाम देख वो रो पड़ी</li>
<li>न्याय के लिए खटखटाया महिला आयोग का दरवाजा- कहा, लालची दूल्हे से शादी की तो जान दे दूंगी</li>
<li>माता-पिता भी डाल रहे हैं उसी लड़के से शादी का दबाव </li>
</ul>
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<span style="color: #009900;">चलिए सबसे पहले पूरे वाकये पर एक सरसरी निगाह डाल लेते हैं। लखनऊ की मंजू की शादी 26 फरवरी को तय हुई थी। जयमाला केसमय दूल्हे ने उसके पिता से एक लाख रुपए और मोटरसाइकिल की मांग कर दी। दूल्हे की जिद के चलते दिलेर मंजू ने शादी न करने का फैसला कर लिया। आखिरकार बारात बैरंग लौट गई। दूल्हे और उसके परिजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई। अब मंजू के माता-पिता उसी लड़के से शादी करने के लिए जबरदस्ती कर रहे हैं। मंजू ने महिला आयोग से गुहार लगाई है। उसने कहा है कि जबरदस्ती की गई तो वह खुदकुशी कर लेंगी। इस बीच मंजू के दर पर नेपालगंज के डाक्टर से लेकर ओमान के इंजीनियर तक के रिश्ते पहुंचने लगे हैं। जाति-धर्म की दीवार तोड़कर युवक इस बहादुर लड़की को अपनी जीवन साथी बनाने के इच्छुक हैं।</span><br />
-------------------------------------------<br />
<b>अब पूरी कहानी तफसील से</b><br />
-लखनऊ के तालकटोरा थाना के अंबेडकरनगर भरतपुरी बी के रहने वाले जगदीश प्रसाद की 22 वर्षीय पुत्री मंजू ने राज्य महिला आयोग को दिए प्रार्थनापत्र में बताया 26 फरवरी को उसकी मोहल्ले के विजय कुमार से शादी तय हुई थी। जयमाला के समय विजय ने उसके पिता से एक लाख रुपए तथा मोटरसाइकिल मांग ली। घरवालों के लाख समझाने पर भी वह जिद पर अड़ा रहा। इसलिए मैंने उससे विवाह करने से मना कर दिया।<br />
<span class=""></span> अगले दिन अखबार में इसकी खबर छपने के बाद विजय को कानूनी फंदे से बचाने के लिए उसके घरवाले शादी के लिए जोर डालने लगे। मंजू ने यह भी बताया कि उसके माता-पिता भी उसी लड़के से शादी के लिए जबरदस्ती कर रहे हैं। खत के अंत में महिला आयोग की अध्यक्ष से गुहार लगाते हुए मंजू ने कहा यदि मुझसे जबरदस्ती की गई तो आत्महत्या कर लूंगी।<br />
मंजू को मदद देने के लिए लविवि की पूर्व कुलपति प्रो. रूपरेखा वर्मा आगे आईं, वहीं महिला थानाध्यक्ष ने कहा बालिग लड़की की शादी बिना उसकी मर्जी के नहीं होने दी जाएगी। मां-बाप से यह बात लिखित में लेने के बाद मंजू को घर रवाना कर दिया गया।<br />
-------------------------------------------<br />
<b>मंजू के लिए रिश्तों की बौछार-</b><br />
मंडप पर दहेज लोभी दूल्हे से रिश्ता तोड़ने वाली दिलेर मंजू के दर पर नेपालगंज के डाक्टर से लेकर ओमान के इंजीनियर तक के रिश्ते आने लगे हैं। जाति-धर्म की दीवार तोड़कर युवक इस बहादुर लड़की को अपनी जीवन साथी बनाने के इच्छुक हैं। लखनऊ के अलावा नेपालगंज, बलिया, आगरा, चंडीगढ़ ही नहीं ओमान से आए संदेशों में मंजू से शादी की इच्छा जाहिर करने वालों की संख्या कई दर्जन थी। ओमान में इंजीनियर और बलिया निवासी आरएस मिश्र्रा मंजू से शादी करना चाहते हैं। चंडीगढ़ के ओंकार मिश्र ने मंजू के साहस की सराहना करते हुए सलाह दी ऐसे आदमी से शादी करो जिसे इंसानियत की भूख हो।<br />
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<b>मंजू से मिलने को मुरीदों की कतार-</b><br />
मंजू के मुरीदों की कतार लंबी होती जा रही है। चर्चा है कि कई लोगों ने मंजू को मदद करने की इच्छा भी जाहिर की। कोई पढ़ाई का खर्चा उठाना चाहता है तो कोई मंजू के शादी में टेंट और लाइट का मुफ्त व्यवस्था करने को बेताब है।<br />
<span class=""></span><br />
अपनी शादी के लिए आए शादी के प्रस्तावों का देखकर उसके आंखों में आंसू आ गया। इन रिश्तों के बारे में उसका कहना है कि वो पहले लड़के से मिल कर साफ साफ बात करेगी कि कोई दहेज या किसी अन्य लालच में तो शादी नहीं कर रहा है तब वर चुनेगी।<br />
<span class=""></span><br />
वही मंजू का कहना है कि मैं पहले अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं, इसके लिए आगे पढ़ाई करूंगी या मुझे अभी कोई अच्छी नौकरी मिली तो वो करूंगी। उसका कहना है कि मैं कहीं अच्छी सी नौकरी करना चाहती हूं यदि कोई मेरी मदद करना चाहता है तो मेरी नौकरी लगवा दे। मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती हूं।</div>
Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-53230351343819913922009-01-16T11:57:00.000-08:002009-01-16T12:23:42.397-08:00ओबामा की एक पाती बेटियों के नाम<p><strong>मेरी सबसे बड़ी खुशी तुम दोनों हो - अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति</strong> </p><p> </p><p><span style="color:#ff0000;">एक पिता के रूप में ओबामा ने 10 साल की मालिया व सात साल की साशा को यह समझाने की कोशिश की है कि आखिर उन्होंने यह राह क्यों चुनी और वह उनसे क्या अपेक्षा रखते हैं।</span><br /><br /><blockquote>ये सब मैं तुम दोनों के लिए चाहता था। मैं चाहता था कि तुम दोनों ऐसे माहौल में बढ़ो<br />जहां कोई उपलब्धि तुम्हारी पहुंच के बाहर न हो। सोचने की कोई सीमा न हो। जहां तुम<br />दोनों एक प्रतिबद्ध महिलाओं के रूप में बड़ी हो सको, जो एक सुंदर दुनिया के निर्माण<br />में योगदान दे। मैं चाहता हूं जो मौके तुम्हें मिले हैं वह देश के हर बच्चे को<br />मिले। </blockquote><p></p><ul><br /><li>मेरे लिए कोई उपलब्धि बहुत महत्वपूर्ण नहीं रह गई। </li><br /><li>मेरी सबसे बड़ी खुशी तुम दोनों हो। </li><br /><li>मैं तुम्हें खुश नहीं रख सकता तो मेरी जिंदगी के कोई मायने नहीं है। </li><br /><li>मैं हर बच्चे को स्कूल जाते देखना चाहता हूं। </li><br /><li>मैं चाहता हूं कि उन्हें अच्छी नौकरी मिले और वे सफल इनसान बनें। </li></ul><p><strong>Friday 16 Jan, 2009 08:17 AM</strong></p><p>ह्वाइट हाउस में आने से ठीक पहले अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी दोनों बेटियों को एक खत लिखा है। एक पिता के रूप में ओबामा ने 10 साल की <span class="">मालि<a href="http://1.bp.blogspot.com/_X6f6EYtnrAw/SXDotZwxffI/AAAAAAAAAnA/hU_aW8Hwjew/s1600-h/barak.bmp"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5291985428867546610" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 200px; CURSOR: hand; HEIGHT: 150px" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_X6f6EYtnrAw/SXDotZwxffI/AAAAAAAAAnA/hU_aW8Hwjew/s200/barak.bmp" border="0" /></a>या</span> व सात साल की साशा को यह समझाने की कोशिश की है कि आखिर उन्होंने यह राह क्यों चुनी और वह उनसे क्या अपेक्षा रखते हैं। बेटियों के नाम उनका पत्र परेड मैगजीन में छपा है। ओबामा ने लिखा है, ये सब मैं तुम दोनों के लिए चाहता था। मैं चाहता था कि तुम दोनों ऐसे माहौल में बढ़ो जहां कोई उपलब्धि तुम्हारी पहुंच के बाहर न हो। सोचने की कोई सीमा न हो। जहां तुम दोनों एक प्रतिबद्ध महिलाओं के रूप में बड़ी हो सको, जो एक सुंदर दुनिया के निर्माण में योगदान दे। मैं चाहता हूं जो मौके तुम्हें मिले हैं वह देश के हर बच्चे को मिले। </p><p>चुनाव प्रचार के चलते उन्हें अपनी बेटियों से दो साल तक दूर रहना पड़ा था। उन्होंने खेद जताते हुए लिखा है, मुझे तुम पर नाज है। मुझे पता है पिछले दो वर्षो में तुमने मुझे कितना याद किया होगा। संयम बनाए रखने के लिए मैं तुम्हारा आभारी हूं। आज मैं तुम्हें बताता हूं कि मैंने क्यों अपने परिवार के लिए यह रास्ता चुना। किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह मैं भी सफल होना चाहता था। लेकिन पिता बनने के बाद सब कुछ बदल गया। </p><p>अचानक मुझे लगा कि मेरे लिए कोई उपलब्धि बहुत महत्वपूर्ण नहीं रह गई। मैंने पाया कि मेरी सबसे बड़ी खुशी तुम दोनों हो। मुझे एहसास हुआ कि यदि मैं तुम्हें खुश नहीं रख सकता तो मेरी जिंदगी के कोई मायने नहीं है। मेरी बच्चियों, इसीलिए मैं राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल हुआ। ओबामा ने लिखा है, मैं हर बच्चे को स्कूल जाते देखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि उन्हें अच्छी नौकरी मिले और वे सफल इनसान बनें।<br /><br /><strong>साभार / स्त्रोत -</strong><br /></p>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-8678019540404764152008-10-13T13:19:00.000-07:002008-10-13T13:20:03.628-07:00चार बहनों की खुदकुशी का मामलामध्यप्रदेश के भिंड जिले में चार बहनों की खुदकुशी का मामला <br /><br /><br />सामूहिक आत्महत्या। चार बहनों ने एक साथ सल्फास खाकर खुदकुशी कर ली। वाकया मध्यप्रदेश के भिंड जिले के एक गांव का है। <br /><br />घटना के पीछे वजह क्या है यह तो अभी तक सामने नहीं आ पायी है। लेकिन चारों बहनों के भगवान कृष्ण की परमभक्त होने को इसकी वजह माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि जिस तरह मीरा ने भगवान कृष्ण केलिए विष का प्याला पिया था। उसी तरह इन बहनों ने कृष्ण के लिए सल्फास की गोलियां खाकर खुदकुशी कर ली। <br /><br />जब तक सच्चाई सामने नहीं आती तब तक .... ऐसी ऊल-जुलूल बातों को फैलने से रोका जाना चाहिए। वर्ना ऐसी घटनाओं के दुबारा-तीबारा होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। <br /><br /><br />बच्चे अगर ऐसे किसी मनोविज्ञान के शिकार हो रहे हैं, तो इसे रोकने की दिशा में ठोस पहल होना चाहिए। न कि इसे बेवजह का बढ़ावा दिया जाए। <br /><br /><br />----------------------------Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-59395494598149923182008-10-13T13:11:00.000-07:002008-10-13T13:12:40.268-07:00जवाब की राह ताकता सती का सवालजवाब की राह ताकता सती का सवाल <br />------------------------<br />सती की गति न जाने कोय <br />--------------------------<br />कई ऐसे उदाहरण देखने को मिलते है कि औरत को जबर्दस्ती सती कराया गया। लेकिन आज की सती महिलाओं को किसने सती करवाया। यह सवाल कब तक जवाब की राह देखता रहेगा। हम सबको मिलकर इसका जवाब जल्द से जल्द खोजना पड़ेगा। वर्ना जाने और कितनी महिलाएं सती हो जाएंगी। <br />-----------------------------<br /><br />फिर एक औरत सती हो गई। इधर के कुछ सालों का इतिहास खंगालें तो यह कोई पांचवी-छठी घटना होगी। <br /><br />दूसरी अन्य समस्याओं की तरह अगर हम यह मानकर चलने लगे कि सती प्रथा के रोकथाम की कोई भी कोशिश कामयाब नहीं होगी, तो फिर नहीं ही होगीं। इसलिए हमें पाजिटीव ही सोचना होगा। <br /><br />अब हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि ... क्या कारण है जो आज भी सती जैसी घटनाएं हो रही है। घटनाओं पर नजर डालें तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि सभी घटनाएं अनपढ़, अशिक्षित और निम्न वर्ग के बीच घट रही है। यानी ऐसी जगह जहां जागरूकता की कमी है। महिलाओं में आज भी पति को परमेश्वर और सर्वस्व मानने की प्रथा है। पति केसाथ ही मरना उन्हें अपना प्रथम कर्तव्य जान पड़ता है। उन महिलाओं को सती होने में आत्महत्या जैसा बोध भी नहीं होता। क्योंकि आत्महत्या करने वाला किसी न किसी परेशानी और मजबूरी केचलते करता है। यानी जीवन से हार कर। मगर इन महिलाओं ने सती होने का फैसला अपनी खुशी से लिया। <br /><br />यह बात समझ से परे है कि आखिर कैसे सती हुई महिलाओं के मन में यह बात बैठ जाती है कि उन्हें पति के साथ सती होना है। इतिहास में झांके तो पता चलता है कि पहले महिलाओं ने पति के नहीं रहने के बाद दुश्मन सेनाओं के कहर, अपमान से बचने के लिए जौहर होना या सती होना शुरू किया। लेकिन बाद में महिलाओं को पति की मौत के बाद सती होने के लिए मजबूर किया जाने लगा। <br /><br />कई ऐसे उदाहरण देखने को मिलते है कि औरत को जबर्दस्ती सती कराया गया। लेकिन आज की सती महिलाओं को किसने सती करवाया। यह सवाल कब तक जवाब की राह देखता रहेगा। हम सबको मिलकर इसका जवाब जल्द से जल्द खोजना पड़ेगा। वर्ना जाने और कितनी महिलाएं सती हो जाएंगी। <br /><br /><br />http://www.bhaskar.com/2008/10/13/0810131125_lalmati_pious.html <br /><br />http://www.bhaskar.com/2008/10/13/0810131125_lalmati_pious.htmlChhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-60224950251279574962008-10-04T13:37:00.000-07:002008-10-04T13:38:28.719-07:00मां को घर से निकालने पर बेटों पर मामला दर्ज<strong>मां को घर से निकालने पर बेटों पर मामला दर्ज</strong><br /><span class=""></span><br /><strong>भास्कर नेटवर्कSaturday, October 04, 2008 03:29 [IST]</strong><br /><br /><strong>ग्वालियर.</strong>केरल के बाद मध्यप्रदेश के ग्वालियर की बहोड़ापुर पुलिस ने सत्तर साल की बूढ़ी मां को घर से निकाल देने वाले बेटों के खिलाफ मेंटेनेंस वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।<br />पुलिस के मुताबिक, जानकीबाई कुशवाह (70) ने पति की मौत के बाद जायदाद अपने दो बेटों सूरज और मोहन में बांट दी थी। बेटों ने कुछ दिन तक तो मां को साथ रखा और इसके बाद उसे घर से निकाल दिया। महिला तब से ही भंडारे और लंगर में भोजन कर जीवनयापन कर रही थी। पिछले कुछ दिनों में तीन-चार बार महिला पुलिस के पास बेटों के अत्याचार की शिकायत लेकर पहुंची थी।<br />तब पुलिस ने कह दिया था कि वह एक बार और अपने बेटों को समझाने का प्रयास करे। वीरवार शाम को महिला दोबारा थाने पहुंची तो पुलिस ने इसके बेटों के खिलाफ मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया।<br />केरल में दर्ज हुआ था पहला मामला :<br />वृद्ध मां-बाप की देखभाल न करने वाले पुत्र-पुत्रियों पर कार्रवाई करने वाले इस कानून के तहत पहला मामला केरल के कोल्लम कस्बे में महिला लक्ष्मीकुट्टी की शिकायत पर एक सप्ताह पहले दर्ज किया गया था।Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-21351945386742664432008-09-25T12:55:00.000-07:002008-09-25T12:57:24.135-07:00बूढ़ी मां की देखभाल नहीं करने वाला बेटा गिरफ्तारयह संभवत: देश में पहला ही मामला है, जो इस कानून के तहत दर्ज हुआ है। करीब 84 साल की महिला लक्ष्मीकुट्टी आंशिक रूप से अशक्त है और उसकी देखभाल कोई नहीं करता। <br /><br />बूढ़ी मां की देखभाल नहीं करने वाला बेटा गिरफ्तार<br /><br />एजेंसीThursday, September 25, 2008 23:14 [IST]<br /><br />कोल्लम (केरल). देश में पहली बार सीनियर सिटीजन एक्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 58 साल के एक व्यक्ति को अपनी मां की देखभाल नहीं करने के कारण गिरफ्तार किया है। यह मुकदमा उसके दो भाई व तीन बहनों के खिलाफ भी दर्ज किया गया है। जिला प्रोबेशन अधिकारी के निर्देशों के अनुसार इन भाई-बहनों के खिलाफ वृद्ध माता पिता की देखभाल संबंधी कानून (मेंटेनेंस एंड वेल्फेयर आफ पेरेंट्स और सीनियर सिटीजन एक्ट) के तहत कार्रवाई की गई है। यह कानून हाल ही में अस्तित्व में आया है। <br /><br />पुलिस और वकीलों के अनुसार यह संभवत: देश में पहला ही मामला है, जो इस कानून के तहत दर्ज हुआ है। करीब 84 साल की महिला लक्ष्मीकुट्टी आंशिक रूप से अशक्त है और उसकी देखभाल कोई नहीं करता। <br /><br />जब उसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कानून की जानकारी दी तो वह बेटे-बेटियों के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार हो गई। अब वह एक चैरिटी होम में है, जिसे चर्च चलाता है। <br /><br />जिला प्रोबेशन अधिकारी ने पुलिस से इस बारे में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। लक्ष्मीकुट्टी का सबसे बड़ा बेटा रामनन गुरुवार को ही कोट्टियम से गिरफ्तार किया गया। बेटे की गिरफ्तारी दिखाने के बाद उसे रिहा कर दिया गया।Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-40499094077050238442008-09-21T08:14:00.000-07:002008-09-21T08:33:48.611-07:00प्रभा जी का लेखन हमेशा प्रेरणा देता रहेगा<a href="http://1.bp.blogspot.com/_X6f6EYtnrAw/SNZofL5YyXI/AAAAAAAAAXg/bjq-0_RqEJg/s1600-h/piilii_aandhii.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5248497300725614962" style="CURSOR: hand" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_X6f6EYtnrAw/SNZofL5YyXI/AAAAAAAAAXg/bjq-0_RqEJg/s320/piilii_aandhii.jpg" border="0" /></a><br /><div>रोज की तरह आज भी अखबार देख रहा था ।<br /><span class=""></span><br />अचानक एक ख़बर पर नज़र गई ।प्रभा खेतान नहीं रहीं ... ये क्या पीली आंधी, छिन्नमस्ता , सिमोन द बोउवा की पुस्तक ‘दि सेकेंड सेक्स’ के अनुवाद ‘स्त्री उपेक्षिता’ की लेखिका प्रभा जी नहीं रहीं ....<br /><br />मैंने छिन्नमस्ता और ‘स्त्री उपेक्षिता’ दोनों को पढा है । एमए के बाद मैं स्त्री विमर्श विषयक शोध के सिलसिले मेंकुछ ढूँढ रहा था। तब मैंने ये किताबें पढी.<br /><br />प्रभा जी का लेखन हमेशा प्रेरणा देता रहेगा ।<br /><br />महान लेखिका प्रभा जी को विनम्र श्रद्धांजलि।</div>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-25043565024398872822008-09-21T07:54:00.000-07:002008-09-21T08:00:36.541-07:00‘स्त्री उपेक्षिता’ की लेखिका प्रभा खेतान नहीं रहींवरिष्ठ लेखिका प्रभा खेतान नहीं रहीं<br /><br /><br />हिन्दी की सुप्रसिद्ध लेखिका, उघमी तथा समाजसेविका डॉ. प्रभा खेतान का कल देर रात निधन हो गया। 66 वर्ष की डॉ. खेतान अविवाहित थीं। उन्हें 18 सितम्बर को सांस लेने में शिकायत होने पर साल्ट लेक स्थित आमरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अगले दिन बाईपास सर्जरी के बाद उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। अचानक तबीयत बिगड़ जाने के बाद उन्होंने कल देर रात अंतिम सांस ली। डॉ. खेतान उन प्रतिभाशाली महिलाओं में थीं जिन्हें सरस्वती एवं लक्ष्मी दोनों से वरदान प्राप्त था।<br /><br />उनका जन्म 1 नवम्बर 1942 को हुआ था। दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर डॉ. खेतान एक सफल उघमी थीं। उन्होंने हिन्दी साहित्य की भी सेवा की। उन्हें कलकत्ता चैंबर आफ कॉमर्स की एकमात्र महिला अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त था। फ्रांसीसी रचनाकार सिमोन द बोउवा की पुस्तक ‘दि सेकेंड सेक्स’ के अनुवाद ‘स्त्री उपेक्षिता’ ने उन्हें काफी चर्चित किया। किया। आआ॓ पेपे घर चलें, पीली आंधी, अपरिचित उजाले, छिन्नमस्ता, बाजार बीच बाजार के खिलाफ, उपनिवेश में स्त्री जैसी उनकी रचनाएं काफी लोकप्रिय हैं।<br /><br />विश्व विख्यात अस्तित्ववादी चिंतक व लेखक ज्यां पाल सार्त्र पर उनकी पुस्तकें काफी चर्चित हैं। इसके अतिरिक्त उनकी कई पुस्तकें और काव्यग्रंथ लोकप्रिय हुए। अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करने वाली आत्मकथा ‘अन्या से अनन्या’ लिखकर सौम्य और शालीन प्रभा खेतान ने साहित्य जगत को चौंका दिया। साहित्य जगत के लिए प्रभाजी का असामयिक निधन अपूरणीय क्षति है। विभिन्न व्यावसायिक सफलताओं के साथ ही एक कुशल रचनाकर के रूप में भी उन्हें याद किया जाता रहेगा। कल रविवार को स्थानीय नीमतल्ला घाट में उनकी अंत्येष्टि संपन्न होगी।<br /><br /><br />Prabha Khetan is no more ( A Biogarphy)<br />Famous Hindi poetess and litraraturist and novelist Prabha Ketan is no more. She died after heart attack in Amri Hospital, Salt Lake, Kolkota. She was 66. She was hearty attached by Bhagalpur by literature.<br /><br />Some Golden poem by Prabha Khetan<br />Ujaale ( First Poem's Book published in 1981 ) - Poem<br />Sidhiyan Chadhti Hui Mai<br />Ek Aur AAkash ki Khoj me<br />Krishna Dharma<br />Husnabano<br />Ahilya<br /><br />Golden novels by Prabh Khetan<br />Aao Pepe Ghar Chale ( First novel published in 1990) - Novel<br />Talabandi<br />agnisambhwa<br />Aids<br />Apne Apne Chehare<br />Peelee Aandhi<br />Stri PakshChhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-30531923613124988872008-06-29T08:50:00.000-07:002020-03-07T21:02:19.608-08:00आधी आबादी को चाहिए आधा आकाश<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<a href="http://bp2.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9EQ09uMa-I/AAAAAAAAAEM/SfKlWwHxyTA/s1600-h/images.jpg" onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}"></a>हम आधा आकाश मंगातें हैं ।<br />
अपने लिए<br />
जगह एक खास मंगातें हैं ।<br />
<span class=""></span><br />
अंधेरों को चीर के रख दें,<br />
ऐसा एक प्रकाश मंगातें हैं ।<br />
<span class=""></span><br />
पुरुषों तुमसे हम<br />
अपने लिए विश्वास मंगातें हैं ।<br />
<span class=""></span><br />
हमें भी दो मौका कुछ कर गुजरने का ।<br />
हमें स्थान तुमसे आगे नहीं चाहिए<br />
स्थान हम अपना पास -पास मंगातें हैं ।<br />
<span class=""></span><br />
अपने लिए नहीं<br />
इस दुनिया के विकास के लिए<br />
आधा आकाश मंगातें हैं ।<br />
<span class=""></span><br />
आधा आकाश मंगातें हैं ।<br />
अपने लिए जगह एक खास मंगातें हैं ।<br />
<br />
<br />
<span style="color: red;">(ये कविता साल 2003 की 13 फरवरी को chhindwara, mp में लिखी गई थी । मैं उस वक्त कॉलेज में था । जब मैंने इसे स्टेज से सुनाया तो ... girls की ओर से आवाज आई ... हमें पूरा आकाश चाहिए । मतलब साफ है... आधी आबादी को अपना आकाश चाहिए .... वे सिर्फ़ पाना चाहती है ... खोने के लिए उनके पास कुछ नहीं ... सो उनके लिए आधा आकाश ... )</span><br />
<span class=""></span><br />
<span class=""></span><br />
तृष्णा तंसरी / 13 feb 2003</div>
Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-14046516461635876562008-06-02T12:55:00.000-07:002008-06-02T13:03:22.325-07:00'पहले पक्की नौकरी फिर विलियम से ब्याह'<p>'पहले पक्की नौकरी फिर विलियम से ब्याह' </p><p><br /><strong>भाषा </strong></p><p><strong>लंदन, रविवार, जून 1, 2008</strong><br />ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेट ने कहा कि प्रिंस विलियम की गर्लफ्रेंड केट मिडलटन को उससे सगाई की घोषणा करने के पहले एक पक्की नौकरी पा लेनी चाहिए। शाही परिवार की इस 82 वर्षीय सदस्य को इस परिवार में कड़ी मेहनत करने वाला माना जाता है।</p><p>डेली मेल के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक रानी से स्पष्ट किया कि 26 साल की केट को पहले अपने करियर को स्थायित्व प्रदान करना चाहिए। विलियम अभी ब्रिटिश सेना में एक अधिकारी हैं।<br />महारानी के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि केट की पहचान एक गैर पेशेवर होने के कारण रानी को आशंका है कि इससे विलियम की सार्वजनिक छवि प्रभावित हो सकती है।</p><p>महारानी ने इस संबंध में अपने कुछ विश्वस्त मित्रों से मंत्रणा की है। महारानी निजी तौर पर केट को पक्की नौकरी नहीं मिलने तथा विलियम के साथ उसके विवाह से पड़ने वाले परिणाम को लेकर काफी चिंतित हैं।</p><p> </p>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-20272328801699567122008-05-14T04:34:00.000-07:002008-05-14T13:17:20.123-07:00ऑक्सफोर्ड जीनियस बनी कॉल गर्लजब वो दस साल की हुई तो सभी उसकी बुद्धिमानी का लोहा मानने लगे। जिस यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लोग तरस जाते है, पूरी जिंदगी निकल जाती है, उसमें उसने महज तेरह साल की ही उम्र में दाखिला ले लिया था। उस वक्त उस छोटी सी लड़की को सभी बुलाते थे, मैथमेटिक्स जीनियस (MATHMATICS GENIUS) के नाम से। लेकिन पढा़ई पूरी करने के बाद जब वो दुनिया के सामने आई तो किसी को भी यकीन करना नामुमकिन था। वो दुनिया के लिये बन चुकी थी एक ‘जीनियस’ हाईप्रोफाईल कॉल-गर्ल।<br /><br />दुनिया की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटिज़ में शुमार ऑक्सफोर्ड में पढ़ना हर STUDENT का एक सपना होता है। यही सपना लेकर सोफिया नाम के उस लड़की ने भी करीब दस साल पहले इस विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था। करीब 13 साल की उम्र में ही ऑक्सफोर्ड में दाखिला लेने वाली सोफिया सबसे कम उम्र की छात्रा थी। आप सोच रहे होंगे कि सोफिया अब एक विद्वान बन चुकी होगी। लेकिन आप को अपने कानों पर विश्वास करना मुश्किल हो जायेगा। क्योंकि सोफिया का नाम अब इंग्लैड़ की सबसे महंगी कॉल-गर्ल में शुमार हो चुका है। लोग उसे ‘शिल्पा ली’ के नाम से जानते है। इंटरेनट की एक सैक्स-साइट पर सोफिया ने जिस्मफरोशी का बाकायदा विज्ञापन दे रखा है। वेबसाइट के मुताबिक वो इंग्लैंड के सैलफोर्ड स्थित अपने फ्लैट से ये धंधा चलाती है। वेबसाइट पर पड़ी उसकी तस्वीरों को देखकर कोई भी यकीन कर सकता है कि वो पूरी तरह से वेश्यावृति के धंधे में लिप्त है।<br /><br />कभी ऑक्सफोर्ड की MATHMATICS GENIUS रही सोफिया उर्फ शिल्पा ली पर अपने आप को सैक्सी एंड स्मार्ट कहलाना पसंद करती है। एक घंटे का वो अपने ग्राहको से 130 पाउंड वसूलती है। शिल्पा के मुताबिक अपने पारिवारिक वजह से वो इस सैक्स के इस गंदे धंधे में उतर गई है। शिल्पा के मुताबिक जब वो ऑक्सफोर्ड में पढ़ रही थी तो उसके पिता को दो नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण करने के चलते सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया था। इस घटना से वो अंदर से इस कदर टूट गई थी कि अपनी जिंदगी को संभालने के लिये उसने शादी भी रचाई। लेकिन कुछ ही दिनों में वो टूट गई। इन दोनों घटनाओं ने सोफियो को अंदर तक तोड़कर रख दिया। अपनी जिंदगी खुशगवार बनाने के लिये उसने जिस्मफरोशी का धंधा चुन लिया।<br /><br />सोफिया उर्फ शिल्पा ली के ग्राहक भी जानते है कि वो गलत धंधे में पड़ गई है। शायद यही वजह है कि उसके एक ग्राहक ने उससे ये धंधा छोड़ने तक की गुहार लगाई है। सोफिया की वेबसाईट पर उस ग्राहक ने लिखा है “मुझे पूरा विश्वास है कि सोफिया इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि उसने जो रास्ता अख्तियार किया है वो अच्छा नहीं है। जिंदगी को फिर से शुरु करने के लिये ये अच्छा करियर नहीं है। मुझे यकीन है कि उसने जिस्मफरोशी का धंधा जिंदगी से हताश हो कर चुन लिया है।”<br /><br />जो दर्द सोफिया दुनिया को नहीं बता सकी, वो उसके एक ग्राहक ने लिखा है। बिना अपनी पहचान बताये उसके ग्राहक ने लिखा है-“सोफिया को इस धंधे को बंद कर देना चाहिये। एक इंसान होने के नाते उसे एक और मौका मिलना चाहिये। सोफिया को अपना शोषण बंद कर देना चाहिये। सोफिया तुम अपने भाई-बहनों को दिखा दो कि तुम इस कांटो भरी जिंदगी से उबर सकती हो।” मलेशिया की रहने वाली सोफिया उर्फ शिल्पा ली की कहानी जिसने भी सुनी, उसने ही अपील की है कि सोफिया उर्फ शिल्पा ली इस धंधे को छोड़कर एक नई जिंदगी की शुरुआत करे।Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-1684831546948328412008-04-18T03:38:00.000-07:002008-04-18T03:46:02.640-07:00FOCUS TV : for the Indian womenRelated searches·<br /><a href="http://search.live.com/results.aspx?q=We+TV&FORM=QSRE">We TV</a>·<br /><a href="http://search.live.com/results.aspx?q=We+Women+TV&FORM=QSRE2">We Women TV</a>·<br /><a href="http://search.live.com/results.aspx?q=Lifetime+TV+Women&FORM=QSRE3">Lifetime TV Women</a>·<br /><a href="http://search.live.com/results.aspx?q=Show+TV&FORM=QSRE4">Show TV</a>·<br /><a href="http://search.live.com/results.aspx?q=W+Network&FORM=QSRE5">W Network</a>·<br /><a href="http://search.live.com/results.aspx?q=Free+TV&FORM=QSRE6">Free TV</a>·<br /><a href="http://search.live.com/results.aspx?q=Womens+Entertainment+TV&FORM=QSRE7">Womens Entertainment TV</a>·<br /><a href="http://search.live.com/results.aspx?q=Jewelry+TV&FORM=QSRE8">Jewelry TV</a><br /><br />This is the Fourth TV Channel of the group following two very successful TV channels. NE TV is the world’s only multi-lingual 24/7 news network programming round-the-clock live news in more than fourteen languages of northeastern India. NE Hi Fi is the only channel that broadcasts, promotes and projects the culture, tradition, folk and commercial entertainment of the eight (8) states of this region while serving the local population with premium global and Indian entertainment.Significantly, both the Channels of the Ne-TV network i.e. Ne-News as well as Ne-HiFi are already placed on both the leading DTH platforms of the country namely Dish TV & Tata-Sky.<br /><br /> FOCUS TV is also in the process of negotiations and it is most likely that, this Channel shall also be carried by both these DTH platforms and reach viewers all over the country and several other parts of the world very soonE-Mail: focus@focustv.inIndia of the 21st millennium has ushered in a media revolution that emboldens peoples with media in their language and focusing on their needs and habitat.<br /><br />HAMAR TV will capture an important regional language market - the Bhojpuri speaking people. Bhojpuri is not just the mother tongue but enshrines a heritage for many in Bihar, Jharkhand, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, West Bengal and Delhi states of India, besides immigrants in countries such as Nepal, Mauritius and many countries spread through the 5 continents of the world that could number more than 10 crores ( 100 million).<br /><br />HAMAR TV, launched under the corporate Hamar Television Network Pvt. Ltd , marks yet another formidable foray into the powerful and growing regional television market by India’s premier media group, POSITIV TV Media, comprising the flagship TV and Radio enterprises, POSITIV TV Television Pvt. Ltd. and POSITIV TV Radio Pvt. Ltd. POSITIV TV already boasts of operating several firsts in the country: India’s first private teleport and private satellite television and radio channels in Northeastern India to cover and connect all the eight states of the region. We are an unparalleled brand name in the Northeast, based in Guwahati but with a deep penetration of Northeast India besides being connected to the nook and corner of India with fiber optic, VSAT links and our own DSNG vans. We gave new meaning to Regional Language Electronic Media with our two television channels that have come to command the respect and love of our audience.<br /><br />NETV reigns supreme as perhaps the only 24 hour news network in the world with live bulletins in 17 languages of the region, and, NE Hi Fi has begun to enthrall families with general entertainment programming in different languages of northeast India, and from Bollywood to Hollywood. Radio Oolalala’s private FM network extends from Guwahati to Shillon to Agartala and Itanagar. In 2007, the group gave birth to NE Bangla that caters to East and Northeast Indian audiences in Bengali language and is fast emerging as a top 5 in the region. POSITIV TV is the first private teleport in the Northeast or for that matter any sensitive area of India.<br /><br />POSITIV TV Media’s presence has grown from Guwahati with bureaus in over two dozen cities of Northeast India to now a national presence created through its newly announced television channel, <strong><span style="color:#ff0000;">FOCUS TV for the Indian women. Positiv has offices and television studios in Delhi, Mumbai, Calcutta, Hyderabad, Patna, Ranchi, Varanasi and more.</span></strong><br /><br />POSITIV TV has affiliate offices and studios also in London and Los Angeles. NETV, NE Hi Fi and NE Bangla are also a broadcast affiliate of Turner International. Today, POSITIV TV Media boasts of satellite, cable and internet carriage in more than 1 crore (10 million) homes in India alone besides tens of thousands of expatriates and others watching NETV, NE Hi Fi and NE Bangla real-time as a broadband Internet based live stream worldwide.<br /><br />NETV is today the largest and leading single platform for advertisers in the Northeast. There is no other media, print or television, in this region which can boast of an overwhelming statistic connecting pretty much all of northeast India television audience, i.e. 4.2 million homes.India’s ancient to modern history is rich with Bhojpuri language and heritage. It is a very popular regional language spoken in parts of north-central and eastern India. Predominantly, Bhojpuris hail from the western part of the State of Bihar, the northwestern part of Jharkhand State, and the Purvanchal region of Uttar Pradesh State, as well as an adjoining area of the southern plains of Nepal. Bhojpuri is also spoken in Guyana, Suriname, Fiji, Trinidad and Tobago, Brazil, Mauritius, USA, Holland, Uganda, South Africa and Singapore. It is therefore often said to be the only Indian language to be spoken on all continents of the Globe.<br /><br />The language of the Surinamese Hindus, however, is seldom referred to as Bhojpuri but usually as Sarnami Hindi or just Sarnami. People’s attitudes towards the Bhojpuri language have evolved over time, and, most linguists agree it Is not a dialect of Hindi, which is a widespread belief among speakers. Others, including the Government of India, while taking census, disagree, and consider Bhojpuri to be a dialect of Hindi. Bu now the Government of India is preparing to grant it statutory status as a national scheduled language. Bhojpuri shares vocabulary with Sanskrit, Hindi, Urdu and other Indo-Aryan languages of northern India. Bhojpuri and several closely related languages, including Maithili and Magadhi, are together known as Bihari languages. They are part of the Eastern Zone group of Indo-Aryan languages which include Bengali and Oriya from West Bengal and Orissa states respectively.<br /><br />It is said there are numerous dialects of Bhojpuri, including three or four in eastern Uttar Pradesh state alone. The Bhojpuri speaking region, due to its rich tradition of creating leaders for building post-independent India was never devoid of intellectual prominence.<br /><br />These included the first Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru and first President of India, Rajendra Prasad, followed by many eminent politicians and humanitarians including the second Prime Minister of India, Mr. Lal Bahadur Shastri, Pandit Madan Mohan Malaviya, Dr. Krishna Dev Upadhyaya, and another former Indian Prime Minister Chandra Shekhar. Notable Bhojpuri personalities include litterateurs, poets and even actors. <strong><span style="color:#ff0000;">Bhojpuri’s impact on Indian literature is evident in that it became one of the bases of the development of the official language of independent India, Hindi, in the past century. </span>Bhartendu Harishchandra</strong>, who is considered the father of literary Hindi, was greatly influenced by the tone and style of Bhojpuri in his native region. Further development of Hindi was taken by prominent laureates such as <strong>Mahavir Prasad Dwivedi</strong> and <strong>Munshi Premchand</strong> from the Bhojpuri speaking region. Pioneer Dr. Krishna Dev Upadhyaya from Ballia district devoted 60 years to researching and cataloging Bhojpuri folklore. Dr. H S Upadhyaya wrote the book ‘Relationships of Hindu family as depicted in Bhojpuri folksongs (1996). Together, they have cataloged thousands of Bhojpuri folksongs, riddles and proverbs from the different districts.Bhojpuri literature has always remained contemporary. It was more of a body of folklore with folk music and poems prevailing. Literature in written form started in the early twentieth century.<br /><br />During the British Raj of India, then known as the ‘Northern Frontier Province Language,’ Bhojpuri adopted a patriotic tone and after Independence it turned to community. In the later periods, following the low economic development of the Bhojpuri speaking region, the literary work is more skewed towards the human sentiments and struggles of life. In the present era, the Bhojpuri literature, folklore, art and culture is marked by a presence of writers, poets, politicians and actors that gave it a new dimension, a revival. Notable contributors to this trend include Anand Sandhidoot, Pandey Kapil, Ashok Dwivedi, <strong>Bhikari Thakur</strong>, and others in India.<br /><br />In Mauritius, Dr. Sarita Boodhoo from the Mauritius Bhojpuri Institute has don volumes of work in following the Bhojpuri culture and language and documenting the indentured laborers’ arrival on the island. The most notable recent moment has been the rousing and heart-warming return to Bhojpuri region of India’s most noted ‘Pravasi’ (expatriate), the current Prime Minister of Mauritius, Mr. Naveenchandra Raamgoolam.<br /><br />He touched the soil upon arrival at the Patna airport, addressed a gathering of thousands at the famous Gandhi Maidan in chaste Bhojpuri and visited his indentured laborer grand-father’s home village February 18th through 20th, 2008. In January 2008 at the Pravasi Bharatiya Divas in Delhi, the President of India honored Dr. Raamgoolam with the highest honor, Pravasi Bharatiya Samman.HAMAR TV is recognition of the richness of Bhojpuri language and a celebration of Bhojpuri culture. HAMAR TV marks the culmination of a longstanding desire of the staunch Bhojpuri devout to belong to its own.Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-27800434057326757562008-03-26T02:34:00.000-07:002008-03-30T08:11:49.364-07:00पर्सनल समस्या को सार्वजनिक कर रहा हूँ<p align="justify"><span style="font-size:100%;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">पर्सनल समस्या को सार्वजनिक कर रहा हूँ</span> </span></p><p align="justify"><span style="font-size:100%;">इस उम्मीद के साथ कि...</span></p><p align="justify"><span style="font-size:100%;">कुछ हल निकल आए आप दोस्तों की मदद से </span></p><p align="justify"><span style="font-size:100%;"></span> </p><p align="justify"><span style="color: rgb(255, 102, 102);">सवाल है आख़िर क्यों महिला को आगे बढने से रोका जाता है।</span> </p><p align="justify"><span style="color: rgb(0, 0, 0);">क्या इसलिए कि पुरुष के मन में डर होता है कि सत्ता उसके हाथ से चली जायेगी ...</span></p><p align="justify"><span style="color: rgb(51, 51, 255);">किसी को कमजोर ... असहाय ... बनाने का मतलब ही होता है उसको गुलाम बनाना ।</span></p><p align="justify">नारी का भविष्य तय करने का हक़ किसने पुरुष को दिया ... </p><p align="justify">शादी के बाद महिला के जीवन को खत्म करने कि कोशिश क्यों कि जाती है ...<br />एक महिला शादी के बाद, आगे बढने के लिए सोचती है तो इसमें ग़लत क्या है ...</p><p align="justify"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">क्यों पति उसकी पढाई रोक देता है ...आख़िर क्या हल है ...इसका ...</span></p><p align="justify"><br />21 वी सदी में आकर भी कुछ लोग है जो... 16 वी, 17 वी सदी में जी रहे है ...</p><br /><p align="justify"><br /></p><p align="justify"><br /></p><p align="justify"> </p><p align="justify"><strong><span style="font-size:130%;">तृष्णा </span></strong></p><p align="justify"><strong><span style="font-size:130%;">डेल्ही </span></strong></p><p align="justify"><strong><a href="mailto:trishnatansari@gmail.com">trishnatansari@gmail.com</a></strong><br /></p><span style="font-size:100%;"><span class=""></span><p align="justify"><br /></p></span><span style="font-size:100%;"><p align="justify"><br /></p></span><p align="justify"><span style="font-size:100%;"></span></p>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-21578101371945460902008-03-13T03:33:00.000-07:002008-03-13T03:38:43.317-07:00सीमोन द बुआ के देश में बेबी हालदार<p> सीमोन द बुआ के देश में बेबी हालदार</p><span class=""></span><p><br />पहली बार में यह सुनकर यकीन करना बहुत मुश्किल होता है कि दूसरों को घरमें झाड़ू-पोंछा करने वाली लड़की एक लेखिका भी बन सकती है, मगर बेबीहालदार ने इसे हकीकत में बदल दिया. उनकी पहली किताब आलो आंधारि कोजबरदस्त सफलता मिली. बीते साल यह किताब हिंदी में प्रकाशित हुई और अब तकउसके दो संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं. इसका हिन्दी से गहरा रिश्ता हैक्योंकि प्रेमचंद के नाती प्रबोध कुमार ने न सिर्फ उन्हें अपने घऱ मेंरहने की जगह दी बल्कि उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया और उनकी पहलीकिताब को दुनिया के सामने लाए. उनकी किताब के बांग्ला संस्करण का विमोचनसुपरिचित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने किया था. खास बात यह है कि बेबी हालदारने अपनी दूसरी किताब भी पूरी कर ली है. कवि, पत्रकार और टिप्पणीकार पंकजपाराशर ने पिछले दिनों बेबी हालदार की खोज-खबर ली. प्रस्तुत हैं उनकीटिप्पणियों के कुछ अंश...<br /><br />फ्लैशबैकहालदार से मिला। बेबी हालदार पांच-छह साल पहले तक गुमनाम जरूर थी मगर आजवह इतनी चर्चित है कि बर्षों से कलम घिस रहे रचनाकारों तक को उससे रश्कहो सकता है. हालांकि आज भी बेबी का ठिकाना वहीं है, प्रो. प्रबोध कुमारके घर-डी.एल.एफ.सिटी गुड़गांव में. प्यार से जिन्हें वह तातुश कहती है.बेबी साहित्यिक कार्यक्रमों में भाग लेने हांगकांग, पेरिस से होकर आ चुकीहै और आज वह देश के भी कई शहरों में वायुयान से आती -जाती हैं, जो उनकीसंघर्ष का नतीजा है. न्यूयार्क टाइम्स, बी.बी.सी. , सीएनएन-आइ.बी.एन. आदिपर उनका इंटरव्यू आ चुका है.</p><p><br />लेखिका जैसा दिखना भी जरूरीबेबी हालदार कुछ महीने पहले पहली बार हांगकांग जा रही थी तो दिल्लीएयरपोर्ट पर उसे रोक दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि यह महिला लेखिकाकैसे हो सकती है? क्योंकि अधिकारियों की समझ के अनुसार लेखिका होने केसाथ-साथ दिखना भी जरूरी है. सो बेबी उनकी नजरों में वैसा दीख नहीं रहीथी. द अदर साइड आफ साइलेंस की मशहूर लेखिका उर्वशी बुटालिया भी बेबी केसाथ थी. उनके समझाने का भी अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ. नतीजतन उसदिन बेबी की फ्लाइट मिस हो गई. अगले दिन एक सांस्कृतिक रुप से संपन्नअधिकारी की बदौलत बेबी की रवानगी संभव हो पाई. वहां जाकर दुनिया भर केलेखकों ने बेबी हालदार के संघर्ष से परिचय प्राप्त किया. उसके बाद बेबीपेरिस गईं. वहां तकरीबन एक सप्ताह तक वह रहीं और फ्रेंच भाषी समाज कोअपनी प्रतिभा को लोहा मनवाया.</p><p><br />सिमोन के देश में बेबी हालदार </p><span class=""></span><p><br />बेबी हालदार जब पेरिस पहुंची तो काफी लोगों को उनसे मिलने की उत्सुकताथी। लोग जानना चाहते थे कि एक कामवाली औरत कैसे आत्महत्या और हत्या सेबचे जीवन में इतनी ताकतवर हो सकी? फ्रांस के लोग सांस्कृतिक रुप से कितनेसंपन्न है इसका अनुमान सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूरोपीयलेखकों के बीच यह धारणा प्रचलित है कि जिसको पेरिस में मान्यता नहीं मिलीउसको समझो कहीं मान्यता नहीं मिली. शायद यही कारण है कि रायनेर मारियारिल्के, स्टीफन ज्विग, सार्त्र, सिमोन सबने पेरिस को अपना ठिकाना बनाया.ऐसे पाठकों के बीच बेबी हालदार एक सप्ताह तक रही। रोज कहीं भाषण देनाहोता, कहीं पाठकों के सवालों का जवाब देना होता, कहीं आटोग्राफ देना होताऔर अक्सर फ्रेंच महिलाओं के साथ देर तक बैठकर उनके सवालों का जवाब देनापड़ता. यह सब होता एक दुभाषिया के माध्यम से. वहां के लोग बेबी के सवालोंसे चमत्कृत होते. हैरत की बात यह है कि फैशन के नये-नये रुप प्रचलितकरनेवाले शहर पेरिस की फैशन पत्रिकाओं ने अपने आवरण पर बेबी को छापा,इंटरव्यू लिये.<br /></p><p>sabhar , पंकज पाराशर के ख्बाब का दर से</p>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-72587160966428732972008-03-08T02:24:00.000-08:002008-03-13T03:31:11.631-07:00International women's Day Special : स्त्री की पहचान<a href="http://bp0.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9JvZNuMbII/AAAAAAAAAF8/wqLQpjjIIXI/s1600-h/mail+5.jpg"><span style="font-size:130%;"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5175321400772947074" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; CURSOR: hand" alt="" src="http://bp0.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9JvZNuMbII/AAAAAAAAAF8/wqLQpjjIIXI/s400/mail+5.jpg" border="0" /></span></a><br /><br /><br /><span style="font-size:85%;">पुरुष से अलग होनी चाहिए<br /></span><br /><span style="font-size:180%;">स्त्री की पहचान<br /></span><br /><br /><div align="center"><strong>बरसों से स्त्री की पहचान उसके पिता , भाई , पति या प्रेमी के नाम से होती आ रही हैं । लेकिन अब समय आ गया है , कि स्त्री की पहचान एक पुरुष से हटकर हो। उसे अपने नाम और <span class="">काम </span>से <span class="">जाना </span>जाए , पहचाना जाए ।</strong> </div><div align="center"></div><div align="center"><strong>हमारा मानना है कि पुरुषों को स्त्री की उतनी आजादी को<span class=""> खुले दिल </span>से स्वीकार करना चाहिए, जितनी आजादी वे खुद अपने लिए चाहते हैं।</strong></div><br />बीवी कैसी हो... पति कैसा हो...ये दो सवाल... हैं तो बहुत सिम्पल... और इनके जवाब भी लोग बहुत सिम्पल से ही देते हैं। बीवी सुंदर होनी चाहिए, सुशील होनी चाहिए। पति और परिवार का ख्याल रखने वाली होनी चाहिए। कामकाजी यानी नौकरीपेशा भी होनी चाहिए। साथ ही खास बात यह है कि पत्नी नौकरीपेशा होते हुए भी पतिव्रता और पारंपरिक होनी चाहिए।... इस बात पर ज्यादा जोर दिया जाता है। ठीक उसी तरह पति की बात करें तो, पति ऐसा होना चाहिए, जो पत्नी का ख्याल रखें।<br /><br />मगर हम यहां इन सब बातों के बारे में चर्चा नहीं कर रहे हैं... । बात करते हैं विषय पर, बीवी कैसी हो... इस सिम्पल से सवाल का जवाब कुछ यूं हो सकता है।... जवाब किसका है। पहले आप यह भी जान लीजिए। जवाब भी एक सिम्पल मैन का है। जिसकी एक सिम्पल-सी सोच है। मगर इस सिम्पल सोच में कई बड़ी बातें छिपी हुई है।<br /><span class=""></span><br />बीवी कैसी हो... तो बीवी ऐसी हो, जिसकी अपनी कोई पहचान हो, या फिर पहचान बनाने की ललक हो, कॅरियर बनाने की लगन हो, देश की जिम्मेदार नागरिक बनने की चाहत हो। देश के लिए अपना तुच्छ या बहुमूल्य योगदान देने का जज्बा हो।<br /><br />हमारे इस जवाब के पक्ष-विपक्ष में कई सवाल उठ सकते हैं। पहला सवाल विपक्ष से। ये पहचान और नाम या होता है... और आप बीवियों से यह उम्मीद यों करते हो कि उनका कुछ नाम- धाम और पहचान-वहचान हो। तो जनाब, यों न उम्मीद करें...। आप क्या समझते हैं नाम-पहचान सिर्फ पुरूषों की बपौती है क्या...।<br /><br /><em>महिलाओं को शादी के बाद अपना सारा व्यक्तित्व, अपनी सारी काबिलीयत पति- बच्चे और परिवार पर न्यौछावार कर देनी चाहिए। देश कोई चीज नहीं हैं या...। चलिए देश की बात छोड़ भी दें, तो या आदमी का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता ... अपनी कोई पहचान नहीं होती है... जब पुरूषों को अपनी पहचान, अपना अस्तित्व प्यारा होता है... तब महिला यूं न अपना अस्तित्व, अपना वजूद बनाए...।</em><br /><em><span class=""></span></em><br /><strong>अपने अस्तित्व को लेकर सजग </strong><span class=""><strong>स्त्री</strong> </span><br /><br />सवाल और भी उठाए जा सकते हैं। पर जवाब सबका सिर्फ एक ही है...। बदलते वक्त में स्त्री अपने अस्तित्व को लेकर सजग हो गई है। अब तक कहा जाता था कि स्त्री के लिए सबसे खतरनाक होता है उसका स्त्री होना। मगर अब स्त्री अपने ही हथियार से दुश्मनों को परास्त कर रही है।<br /><br />बात जब स्त्री देह की होती है। तब आज यही कहा जाता है, स्त्री के लिए अब उसकी देह एक हथियार हो गई, एक ढाल बन गई।... क्योंकि अब तक स्त्री देह को ही एक स्त्री के कमजोरी का कारण माना जाता था। इस बात पर विचार करके स्त्री ने अब अपनी इस कमजोरी को ही सबसे बड़ा हथियार बना डाला है। स्त्री बाखूबी जानती है कि इस हथियार का इस्तेमाल कब, कहां और कैसे करना है।स्त्री देह जब से हथियार में तब्दील हुई है। उसकी धार अब पैनी हो चली है। पहले वह बोथरी हुआ करती थी। जिससे स्त्री अगर अपने इस बोथरे हथियार के जरिए किसी से मुकाबला करने के बारे में सोचती थी तो नुकसान उसी का होता था। कहावत भी इस बारे में मशहूर है कि तरबूजा छुरी पर गिरे या छुरी तरबूजे पर। हलाल तो तरबूजे को ही होना है। मतलब साफ है, स्त्री-पुरूष संबंधों में भुगतना स्त्री को ही पड़ता है।<br /><br /><strong>अब संबंधों का भुगतान वसूलती है स्त्री</strong><br /><br />लेकिन अब समय बदला है। स्त्री को स्त्री-पुरुष संबंधों के कारण भुगतना नहीं पड़ता, बल्कि स्त्री उसका भुगतान वसूलती है। कई स्त्री-पुरुष इसके खिलाफ बोलते मिल जाएंगे। उन्हें बोलने दीजिए। हमें भी उन्हें सुनना चाहिए। यहीं कहेंगे न आप कि अपनी देह को, हर किसी सौंप देना कहां तक उचित है।... बरसों से सुनते आ रहे है।... धर्मग्रंथों में लिखा है, देह की पवित्रता बहुत मायने रखती है। स्त्री को अपनी देह ऐसे ही थोड़ी न सबके सामने परोस देना चाहिए।<br /><span class=""></span><strong><span class=""></span></strong><br /><strong>पुरुष </strong><strong>देह की पवित्रता का ख्याल नहीं आता</strong><br /><br />हम पूछते <span class="">है आपसे।... बताइए तो जरा। भला या बुराई है इस बात में।... देह उसकी है। तो इस्तेमाल करने का हक भी उसी को होना चाहिए। (पुरुषों से) आपको स्त्री देह की पवित्रता की चिंता खूब सताती है। आपको अपनी यानी पुरुष देह की पवित्रता का ख्याल नहीं आता। वैसे हमारा मानना है कि देह की पवित्रता और अपवित्रता जैसी कोई बात नहीं होती। कुछ है तो, वो है व्यक्ति की सोच, व्यक्ति का नजरिया।</span> पूछते है आपसे।... बताइए तो जरा। भला या बुराई है इस बात में।... देह उसकी है। तो इस्तेमाल करने का हक भी उसी को होना चाहिए। (पुरुषों से) आपको स्त्री देह की पवित्रता की चिंता खूब सताती है। आपको अपनी यानी पुरुष देह की पवित्रता का ख्याल नहीं आता। वैसे हमारा मानना है कि देह की पवित्रता और अपवित्रता जैसी कोई बात नहीं होती। कुछ है तो, वो है व्यक्ति की सोच, व्यक्ति का नजरिया।<br /><br /><strong>बदल रही है लोगों की सोच</strong><br /><br />विवाह संस्था पर आज सौ सवाल उठ रहे हैं। विवाह संस्था के सामने अस्तित्व को बचाए रखने का संकट है। यों। कारण, आज हर व्यवस्था बदलाव चाहती है। वक्त के हिसाब से कुछ परिवर्तन, कुछ लचीलापन मांगती है। मगर कुछ पुरूष अब भी वहां अपनी हुकूमत बरकरार रखना चाहते हैं। अपने आप को परमेश्वर कहलाना पसंद करते हैं। और जब पत्नी इस बात को इंकार करती है तो समझो बस उसकी शामत आ गई। आखिर कौन रहना चाहेगा ऐसे माहौल में। बस फिर क्या है तनाव, झगड़ा और बिखराव-तलाक।पर इधर लोगों की सोच में बदलाव आया है। अभी एक फिल्मी कलाकर का बयान आया था कि उन्हें अच्छा लगेगा, खुशी होगी। अगर उनकी पत्नी को पहले से सेक्स का अनुभव हो। यह तो सिर्फ एक पक्ष है कि पुरूष अब स्त्री की सेक्स आजादी को दबे, छिपे ही सही मगर स्वीकार करने लगे हैं। मगर बात सिर्फ सेक्स की नहीं है।<br /><strong><span class=""><span class=""></span></span></strong><br /><strong><span class="">अपनी सोच को ग्लोबल</span> </strong><span class=""><strong>बनाइए</strong> </span><br /><br /><p><span class="">अब हम फिर से टॉपिक पर लौटते हैं। तथाकथित पुरुष अपनी पत्नियों के खुलेपन से डरते हैं। उन्हें स्त्री के, अपनी स्त्री के अपवित्र हो जाने की चिंता सताती है। हम कहते हैं कि आपकी यह चिंता उस वक्त कहां जाती है, जब यह गुनाह, आप खुद करते हैं। स्त्री को अपवित्र करने का।... जरा सोचिए जनाब।... अपनी सोच का ग्लोबल बनाइए। अगर आप खुलापन चाहते हैं, तो दूसरों को भी खुलापन दीजिए </span></p><p><span class=""><br /></p></span><p><span class=""></span><span style="font-size:130%;">तृष्णा </span></p><p><span style="font-size:130%;"><a href="mailto:trishnatansari@gmail.com">trishnatansari@gmail.com</a></span></p>also read<br /><a href="http://dongretrishna.blogspot.com/">http://dongretrishna.blogspot.com/</a><br /><a href="http://rachanakar.blogspot.com/2007/12/blog-post_24.html">http://rachanakar.blogspot.com/2007/12/blog-post_24.html</a><br /><br /><br /><p><span style="font-size:130%;"></span></p><br /><br /><p><br /></p>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-24322548844613077792008-03-07T03:16:00.000-08:002008-03-07T03:20:34.031-08:00संबोधन की तलाशफूल, कली या गुड़िया<br />कहूँ तुम्हें<br />शूल, चिंगारी या बारूद की पुडिया<br />कहूँ तुम्हें<br /><br /><br />डरता हूँ मैं<br />जब भी तुम्हें<br />गुड़िया कहने की कोशिश करता हूँ<br /><br /><br />डर इस बात का कि<br />कहीं मैं<br />तुम्हें कमजोर ना बना दूँ और ...<br />बारूद की पुडिया कहते वक्त भी<br />डर<br />मेरे मन में होता है कि<br />कहीं मैं<br />तुम्हारी कोमल भावनाओं<br />को क्षत- विक्षत तो नहीं कर रहा हूँ<br /><br /><br /><br />लेकिन<br />मैं करूँ तो<br />क्या करूँ ?<br />आख़िर तुम्हें<br />किस नाम से संबोधित करूँ ...<br /><br /><br />तुम्हारे लिए सही<br />संबोधन की तलाश में<br />मैं कहाँ- कहाँ नहीं भटका<br />कोई गली, कोई चौराहा<br />भी शेष नहीं रहा ...<br />जहाँ से मुझे<br />तुम्हारे लिए<br />एक सही संबोधन मिलें ... और<br />मेरी समस्या का समाधान हो .<br /><br /><br />ना जाने<br />इस संबोधन की तलाश में<br />मैं कब तक यूं ही भटकता रहूंगा .<br />कहना जो चाहता हूँ तुझसे<br />पता नहीं<br />वो कभी<br />कह भी सकूँगा !<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><b>(अभी वक्त की कमी है ... सो इस कविता पर बात फ़िर कभी ... )</b></span><br /><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);"><b>तृष्णा / 30 नवंबर, 2003/ CHHINDWARA</b></span>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-65080627338918081782008-03-07T02:30:00.000-08:002008-03-07T02:47:54.281-08:00एक सितारा<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://bp2.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9EcH9uMbDI/AAAAAAAAAE0/WKBFNKPNRpk/s1600-h/star.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer;" src="http://bp2.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9EcH9uMbDI/AAAAAAAAAE0/WKBFNKPNRpk/s400/star.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5174948369978387506" border="0" /></a><br /><br /><br />जमीं अपनी ना हुई,<br />आसमां अपना ना हुआ ...<br /><br /><br /><br /><br />कहने को सारा जहाँ<br /> अपना था,<br />एक सितारा मगर,<br /> अपना ना हुआ .<br /><br /><span>तृष्णा/ </span>15 अगस्त, 2004/ भोपालChhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-88353474282260259282008-03-07T01:57:00.000-08:002008-03-07T02:29:37.033-08:00इसलिए जरूरी है महिला रिजर्वेशन<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://bp0.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9EY8duMbBI/AAAAAAAAAEk/3a9GK48H3d8/s1600-h/blog.jpg"><img style="margin: 0pt 0pt 10px 10px; float: right; cursor: pointer;" src="http://bp0.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9EY8duMbBI/AAAAAAAAAEk/3a9GK48H3d8/s400/blog.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5174944873875008530" border="0" /></a><br />भारत में महिलाओं के एक छोटे से हिस्से के लिए समान अवसर की मांग उपयुक्त हो सकती है,<br /><br />पर अधिकांश महिलाओं की स्थिति ऐसी है की ...<br />उन्हें पुरुषों की तुलना में विशेष अवसर, रिजर्वेशन <span></span> आदि की जरूरत है ।<br /><br />ऐसे विशेष <span>अवसर</span>, <span></span><span>रिजर्वेशन </span>के बाद ही समान अवसर का लाभ उठा सकेंगी.<br /><br />(ये बातें एक आलेख में अरूण प्रकाश ने लिखी है। मैं उनकी बात से पूरी तरह से इत्फाक रखता हूँ )<br /><br /><br /><br /><br />तृष्णा / 7 मार्च, 2008 <span></span>Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6483448963709931521.post-38703548812058364272008-03-07T01:18:00.000-08:002008-06-29T08:50:20.955-07:00ब्लॉग कविता : आधा आकाश<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://bp2.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9EQ09uMa-I/AAAAAAAAAEM/SfKlWwHxyTA/s1600-h/images.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5174935948932967394" style="FLOAT: left; MARGIN: 0pt 10px 10px 0pt; CURSOR: pointer" alt="" src="http://bp2.blogger.com/_X6f6EYtnrAw/R9EQ09uMa-I/AAAAAAAAAEM/SfKlWwHxyTA/s400/images.jpg" border="0" /></a>हम आधा आकाश मंगातें हैं ।<br />अपने लिए<br /><span style="font-size:+0;">जगह </span>एक खास मंगातें हैं ।<br /><br /><br /><br />अंधेरों को चीर के रख दें,<br />ऐसा एक प्रकाश मंगातें हैं ।<br />पुरुषों तुमसे हम<br />अपने <span style="font-size:+0;">लिए </span>विश्वास मंगातें हैं ।<br /><br />हमें भी दो मौका<br />कुछ कर गुजरने का ।<br /><br />हमें स्थान तुमसे आगे नहीं चाहिए<br />स्थान हम अपना<br />पास -पास मंगातें हैं ।<br /><br /><br />अपने लिए नहीं<br />इस दुनिया के विकास के लिए<br /><br /><br />आधा आकाश मंगातें हैं ।<br />आधा आकाश मंगातें हैं ।<br /><br /><br />अपने लिए जगह एक खास मंगातें हैं ।<br /><br /><br /><span style="COLOR: rgb(255,0,0)"><br /><b>(<span style="font-size:100%;">ये कविता साल दो हजार तीन की तेरह फरवरी को chhindwara, mp में लिखी गई थी । मैं उस वक्त कॉलेज में था । जब मैंने इसे स्टेज से सुनाया तो ... girls की ओर से आवाज आई ... हमें पूरा आकाश चाहिए । मतलब साफ है... आधी आबादी को अपना आकाश चाहिए .... वे सिर्फ़ पाना चाहती है ... खोने के लिए उनके पास कुछ नहीं ... सो उनके लिए आधा आकाश ... )</span> </b></span><br /><br /><br /><span style="font-size:130%;">तृष्णा</span> <span style="font-size:130%;">तंसरी</span> / 13 feb 2003Chhindwara chhavihttp://www.blogger.com/profile/13061545216098980862noreply@blogger.com0